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‘2 जून की रोटी’ की कहावत कैसे बनी? जानें इसके पीछे का मतलब

2 June Ki Roti: 2 जून की रोटी वाली कहावत तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि इसके पीछे की असली कहानी क्या है? आज भी यह कहावत सामाजिक और आर्थिक संघर्ष को दर्शाने के लिए बोली जाती है। आइए जानते हैं कि इसका असली मतलब क्या है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Shivani Jha Updated: Jun 1, 2025 15:51
2 June Ki Roti
Photo Credit Freepik

आपने ‘2 जून की रोटी’ की कहावत तो जरूर सुनी होगी, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि इसके पीछे की कहानी क्या है? ऐसा माना जाता है कि ‘2 जून की रोटी’ किस्मत वालों को मिलती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका मतलब क्या होता है, क्यों इस दिन को खास माना जाता है? आज भी यह कहावत सामाजिक और आर्थिक संघर्ष को दर्शाने के लिए बोली जाती है। चाहे बेरोजगारी की बात हो, महंगाई की, या जीवन की मूलभूत जरूरतों की बात हो। इसके असली मतलब क्या है?

‘2 जून की रोटी’ का मतलब

कई लोग मानते हैं कि ‘2 जून की रोटी’ का मतलब है साल की दूसरी जून तारीख को मिलने वाली रोटी, लेकिन इसका मतलब ये नहीं होता है। ‘2 जून की रोटी’ ये एक बहुत पुरानी कहावत है जिसे अवधी भाषा से जोड़ा जाता है। ये भाषा उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में बोली जाती है। असल में अवधी में ‘जून’ का मतलब होता है समय, तो ‘2 जून की रोटी’, दो वक्त के खाने को कहा जाता है।

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कैसे बनी ये कहावत?

हमारे देश में जब गरीबी और संसाधनों की कमी थी, तो कई लोगों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती थी। उनके लिए दो वक्त का खाना जुटाना मुश्किल हो जाता था। बहुत कम ही लोग होते थे जिन्हें दो वक्त की रोटी मिल पाती थी। उस समय लोग इस कहावत से बताने की कोशिश करते थे कि उनके जीवन में कितनी कठिनाई है और दो समय का भोजन मिलना भी कितना मुश्किल होता है। इसके बाद ये कहावत तब प्रचलन में आई जब मुंशी प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद जैसे बड़े साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं में इसका इस्तेमाल किया।

आज भी ये कहावत प्रचलन में है, क्योंकि हमारे देश से गरीबी पूरी तरह से कम नहीं हुई है। लोग आज भी दो वक्त की रोटी के लिए मजदूरी करते हैं और फिर भी उन्हें पेट भर खाना नसीब नहीं होता है। समय के साथ-साथ इस कहावत का मतलब भी लोग अलग-अलग तरीके से निकालने लग गए और आजकल तो इसे लेकर मीम्स भी बनने लग गए हैं, जो सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड भी करते हैं।

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First published on: Jun 01, 2025 03:51 PM

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