Supreme Court latest decision: मुंबई के जया शेट्टी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे गैंगस्टर छोटा राजन की जमानत रद्द कर दी है. इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने गैंगस्टर छोटा राजन की सजा पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि छोटा राजन चार अन्य मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है और 27 साल तक फरार रहा. ऐसे व्यक्ति की सज़ा को कैसे सस्पेंड किया जा सकता है” सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि आरोपी को तुरंत सरेंडर करना होगा. बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाए गए.
यह भी पढ़ें: ‘आप भक्त हैं तो भगवान विष्णु से जाकर कहिए…’, आखिर CJI ने क्यों की यह टिप्पणी?
Supreme Court cancels bail granted to gangster Chhota Rajan in the 2001 murder case of hotelier Jaya Shetty in Mumbai.#ChhotaRajan #SC pic.twitter.com/r7TLHuui5m
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 17, 2025
2001 के जया शेट्टी हत्याकांड में मिली थी उम्रकैद
गैंगस्टर छोटा राजन को 2001 में जया शेट्टी हत्याकांड में दोषी ठहराया गया था. विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. सीबीआई ने सजा पर रोक का विरोध करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. छोटा राजन के वकील ने बताया कि उसके मुवक्किल पर लगाए अधिकतर केसों में सबूत ही नहीं है. 71 में 47 मामले ऐसे हैं जिनको लेकर कोई सबूत नहीं मिला है. छोटा राजन को 2015 में इंडोनेशिया से गिरफ्तार किया गया था, सीबीआई कोर्ट ने डॉन छोटा राजन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
किसानों से सख्ती से निपटने की जरूरत
वहीं, एक अन्य मामले में सीजेआई गवई ने पराली जलाने वाले किसानों से सख्ती से निपटने की जरूरत बताई है. उन्होंने कहा कि “किसान देश के लिए महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उन्हें पराली जलाने की अनुमति दी जाए.” सीजेआई ने पंजाब सरकार के वकील से कहा कि – आप पराली जलाने वाले किसानों के ख़िलाफ़ कुछ दंडात्मक कार्रवाई करने पर विचार क्यों नहीं सोचते? कुछ लोग जेल जाएंगे तभी शायद मानेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि पराली जलाने की समस्या पर अंकुश लगाने और इससे होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए किसानों पर कड़ी कार्यवाही, जिसमें गिरफ्तारी भी शामिल हो सकती है, पर विचार करना चाहिए . मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि किसान देश के लिए महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि उन्हें पराली जलाने की अनुमति दी जाए.
यह भी पढ़ें: बरकरार रहेगा वक्फ कानून, लेकिन कुछ प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, जानें फैसले की 5 बड़ी बातें
CJI ने पंजाब राज्य के वकील से कहा
“आप कुछ दंडात्मक प्रावधानों पर क्यों नहीं सोचते? अगर कुछ लोग जेल जाएंगे तो सही संदेश जाएगा. कृषकों के लिए दंडात्मक प्रावधान क्यों नहीं बनाते? अगर पर्यावरण की रक्षा का सच में इरादा है, तो पीछे क्यों हट रहे हैं? मैंने अखबारों में पढ़ा था कि फसल कटाई के बाद बची पराली का इस्तेमाल बायोफ्यूल बनाने में भी किया जा सकता है. इसे हम पांच-पांच साल का मुद्दा नहीं बना सकते. किसान विशेष हैं और हम उनके कारण अन्न खा रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम पर्यावरण की रक्षा न करें.”
यह भी पढ़ें: ‘केवल दिल्ली ही क्यों पूरे देश में लगना चाहिए प्रतिबंध’, पटाखे बैन पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी