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वर्ष 2026 तक प्रदेश की सभी दिव्यांग महिलाओं को डिजीटली साक्षर करने का सीएम योगी का लक्ष्य

दिव्यांगजनों के लिए भवनों की सुगम्यता पर भी ध्यान न्यूनतम था. दिसंबर 2015 में शुरू हुए केंद्र सरकार के सुगम्य भारत अभियान के बावजूद, उत्तर प्रदेश के अधिकांश सरकारी भवन दिव्यांगों के लिए अनुकूल बनाने का कार्य प्रारंभिक चरण में अटका रहा था.

Chief Minister Yogi Adityanath: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में दिव्यांग महिलाओं का सशक्तिकरण को नया आयाम मिला है. एक ओर तो प्रदेश में केंद्र सरकार की 'सुगम्य भारत अभियान' और डिजिटल इंडिया’ की साझा लहर ने दिव्यांगजनों, विशेषकर महिलाओं के सशक्तिकरण और विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. तो वहीं दूसरी ओर योगी सरकार के डिजिटल साक्षरता अभियान और समावेशी अवसरों ने उनकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाया है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2017 से ही राज्य में दिव्यांगों के लिए बढ़े हुए 4 प्रतिशत आरक्षण को लागू किया था. इससे दिव्यांगजनों के लिए 3 लाख से अधिक नौकरियों का मार्ग प्रशस्त किया है, जिसमें दिव्यांग महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय है.

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 से पहले दिव्यांगजनों की स्थिति दयनीय थी. पिछली सरकारों में दिव्यांगजनों के लिए 1995 के अधिनियम के आधार पर मात्र 3 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण ही प्राप्त था. इसकी वजह से दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए सरकारी नौकरियों में का रास्ता सीमित था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2017 में कार्यभार संभालते ही, प्रदेश में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के तहत 4 प्रतिशत आरक्षण को प्रभावी बनाया, जिससे सरकारी नौकरियों में दिव्यांगजनों,विशेषकर दिव्यांग महिलाओं के लिए रोजगार के अवसरों में प्रभावी वृद्धि हुई. परिणामस्वरूप राज्य में दिव्यांगों के लिए 3 लाख से अधिक सरकारी नौकरियों का सृजन हुआ जो कि एक अपने आप में एक कीर्तिमान है.

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पिछली सरकारों में दिव्यागंजनों के लिए एकीकृत और समावेशी योजनाओं पर भी कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था, जिस कारण समेकित विशेष माध्यमिक विद्यालयों में भी दिव्यांग बच्चों का नामांकन बहुत कम संख्या में ही हो पाता था. सीएम योगी के मार्गदर्शन में वर्तमान में प्रदेश में दिव्यांगजनों के लिए 1403 विशेष स्कूल संचालित हैं, जहां 50 प्रतिशत नामांकन लड़कियों के हैं. ये स्कूल न केवल शिक्षा देते हैं, बल्कि डिजिटल कौशल जैसे- कंप्यूटर, मोबाइल ऐप्स और ऑनलाइन लर्निंग का भी प्रशिक्षण प्रदान करते हैं. चित्रकूट जिले के एक विशेष स्कूल में दिव्यांग लड़कियां अब ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से आईटी कोर्स कर रही हैं, जो पहले एक सपना मात्र था.

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दिव्यांगजनों के लिए भवनों की सुगम्यता पर भी ध्यान न्यूनतम था. दिसंबर 2015 में शुरू हुए केंद्र सरकार के सुगम्य भारत अभियान के बावजूद, उत्तर प्रदेश के अधिकांश सरकारी भवन दिव्यांगों के लिए अनुकूल बनाने का कार्य प्रारंभिक चरण में अटका रहा था. सरकारी व प्रशासनिक भवनों में से अधिकांश में रैंप, ब्रेल साइनेज या लिफ्ट जैसी सुविधाओं का अभाव था, जिससे दिव्यांगों को दैनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता था. योगी सरकार में इस दिशा में तीव्रगति से कार्य किया गया. वर्तमान में राज्य के 278 सरकारी भवनों में से 271 अब पूर्णतः दिव्यांग फ्रेंडली हैं. जो रैंप, व्हीलचेयर एक्सेस, वॉयस-असिस्टेड सिस्टम्स से लैस हैं.

डिजिटल मोर्चे पर प्रदेश के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने 44 वेबसाइट्स को डब्लू सीएजी-2.1 स्टैंडर्ड पर रीडिज़ाइन किया है, जिससे दृष्टिबाधित महिलाएं स्क्रीन रीडर्स के जरिए आसानी से सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकें. दिव्यांग पेंशन पोर्टल अब वॉयस कमांड सपोर्टेड है, जिससे ग्रामीण दिव्यांग महिलाएं भी आसानी से दिव्यांग पेंशन प्राप्त कर पा रही हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ये प्रयास प्रदेश में दिव्यांगजनों, विशेषकर दिव्यांग महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बना रहे हैं. लखनऊ के एक डिजिटल ट्रेनिंग सेंटर में 200 से अधिक महिलाएं ई-कॉमर्स और फ्रीलांसिंग सीख रही हैं. सरकार का लक्ष्य 2026 तक सभी दिव्यांग महिलाओं को डिजिटल साक्षर बनाना है. प्रदेश में पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी यूपी तक, यह यात्रा समावेशी समाज की नींव रख रही है.


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