Narendra Modi Government introduce 10 major bills: संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा और कुल 15 बैठकें होंगी.लोकसभा बुलेटिन के मुताबिक, इस सत्र में कुल दस नए बिल पेश किए जा सकते हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण एटॉमिक एनर्जी बिल है, जो देश के परमाणु ऊर्जा सेक्टर में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव लेकर आएगा. अभी तक न्यूक्लियर प्लांट्स का निर्माण और संचालन पूरी तरह सरकारी कंपनियों के हाथ में है, लेकिन नए बिल के तहत प्राइवेट कंपनियों—चाहे वे भारतीय हों या विदेशी—को भी न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की अनुमति मिल सकेगी. इसे सेक्टर में ऐतिहासिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि इससे परमाणु ऊर्जा उत्पादन में प्रतिस्पर्धा और निवेश दोनों बढ़ने की संभावना है.
The amendments to the #AtomicEnergyAct, 1962, are expected to be introduced in Parliament in the upcoming Winter Session, starting from 1st December 2025.
At this turning point, our latest #PolicyPaper explores:
– Why nuclear must power India’s #CleanEnergy transition
– How… pic.twitter.com/JRBx4QaBtJ---विज्ञापन---— CRF India (@ChintanResearch) November 27, 2025
हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बिल
सरकार हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बिल भी पेश करने जा रही है, जिसके जरिए उच्च शिक्षा व्यवस्था में बड़ा ढांचा परिवर्तन होगा. इस बिल के तहत UGC, AICTE और NCTE जैसी संस्थाओं को समाप्त कर उनकी जगह एक ही केंद्रीय नियामक संस्था बनाई जाएगी. सरकार का दावा है कि इससे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को अधिक स्वायत्तता मिलेगी और व्यवस्था अधिक पारदर्शी बनेगी. इस सत्र में नेशनल हाईवे (संशोधन) बिल भी पेश किया जाएगा, जिसका उद्देश्य भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को सरल और तेज बनाना है, ताकि राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में देरी को रोका जा सके. इसके अलावा कॉरपोरेट लॉ (अमेंडमेंट) बिल, 2025 भी एजेंडे में है, जिसके जरिये कंपनी अधिनियम 2013 और LLP अधिनियम 2008 में आवश्यक बदलाव कर ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा दिया जाएगा.
Legislative agenda for the winter session of parliament. pic.twitter.com/v3wBH9b1ni
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सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल
केंद्र सरकार सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल भी लाने वाली है, जिसमें सेबी एक्ट, डिपॉजिटरी एक्ट और सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स एक्ट को एक ही कानून में समाहित किया जाएगा. साथ ही संविधान का 131वां संशोधन प्रस्तावित है, जिसके तहत चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में लाया जाएगा. इसको लेकर पहले से ही विवाद की स्थति बन गई है . इसके अलावा कंपनियों और व्यक्तियों के बीच विवादों के तेज निपटारे के लिए मध्यस्थता कानून को भी संशोधित करने की तैयारी है.
इससे पहले मानसून सत्र SIR विवाद के चलते लगातार हंगामे की भेंट चढ़ गया था. लोकसभा और राज्यसभा में कुल मिलाकर कार्यवाही का एक बड़ा हिस्सा बाधित रहा, हालांकि दोनों सदनों ने मिलकर 27 बिल पास किए. मानसून सत्र की शुरुआत में ही राज्यसभा के उपसभापति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया था और उसके बाद सदन की कार्यवाही पर SIR विवाद छाया रहा.
विपक्ष की एक और तैयारी सुर्खियों में
इस सत्र में विपक्ष की एक और तैयारी सुर्खियों में है, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ संभावित महाभियोग. INDIA गठबंधन ने अगस्त में हुई बैठक में संकेत दिए थे कि वे इस मामले में शीतकालीन सत्र के दौरान नोटिस देंगे. यह विवाद तब शुरू हुआ जब राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर वोट चोरी के आरोप लगाए और CEC ने उनसे या तो आरोपों पर हलफनामा देने या सार्वजनिक माफी मांगने को कहा. कुल मिलाकर, सरकार जहां विधायी एजेंडा तय कर चुकी है,
वहीं विपक्ष ने भी अपना तेवर स्पष्ट कर दिया है. ऐसे में यह सत्र राजनीतिक टकराव, तीखी बहस और विधायी गतिविधियों का एक साथ गवाह बनने जा रहा है. इस बीच सरकार ने 30 नवंबर को सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है जिसमे सरकार विपक्ष के सामने सत्र का एजेंडा पेश करेगी और सदन चलाने में सहयोग मांगेगी .
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