Women Reservation Bill Credit: देश की नई संसद में सोमवार को विशेष सत्र के दौरान पेश हुए महिला आरक्षण बिल को लेकर बहस छिड़ गई है। सत्ता पार्टी भाजपा और विपक्ष कांग्रेस में अब इस बात की होड़ (Women Reservation Bill Credit) लगी है कि ये बिल हमारा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में महिला आरक्षण विधेयक को लेकर अपनी राय और प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महिला आरक्षण को लेकर कभी भी गंभीर नहीं रही है। शाह ने कहा या तो कांग्रेस ने कानूनों को खत्म होने दिया या फिर उनकी मित्र पार्टियों ने महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पेश होने से रोक दिया था।
अमित शाह ने बिल पेश होने के बाद किया ट्वीट
केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने एक्स पर एक ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा कि इससे भी ज्यादा शर्मनाक बात यह है कि कांग्रेस कभी भी महिला आरक्षण को लेकर गंभीर नहीं रही है। उन्होंने या तो कानून को खत्म होने दिया या उनके मित्र दलों ने विधेयक को पेश ही नहीं होने दिया। शाह ने कहा कि कांग्रेस के दोहरे मानदंड कभी नहीं छुपे हैं। चाहे वे श्रेय लेने के लिए कितनी भी कोशिश करें।
मनमोहन सरकार पर लगाए ये आरोप
शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस तथ्य को पचा नहीं पा रही है कि लोग संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम की शुरुआत पर खुशी मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि 15वीं लोकसभा के विघटन के बाद मनमोहन सिंह सरकार की ओर से लाया गया कानून समाप्त हो गया था। यह महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मोदी सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। शोह बोले, कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि महिला आरक्षण विधेयक मोदी सरकार के सबसे बड़े जुमलों में से एक है।
कांग्रेस ने किया पलटवार, दिया ये जवाब
उधर, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी अपने एक्स पर एक ट्वीट किया और कहा कि चुनावी जुमलों के मौसम में यह उन सभी जुमलों में सबसे बड़ा है! करोड़ों भारतीय महिलाओं और लड़कियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। इससे पहले कांग्रेस संसदीय दल प्रमुख सोनिया गांधी ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक हमारा है, क्योंकि विधेयक संसद में पेश होने वाला था। कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि वह इस कदम का स्वागत करती है, क्योंकि पार्टी लंबे समय से यह मांग उठाती रही है।
बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार ने मंगलवार को नए संसद भवन की लोकसभा में नया महिला आरक्षण विधेयक पेश किया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नए संसद भवन में लोकसभा की पहली बैठक में यह बिल पेश किया।