---विज्ञापन---

देश

‘कौन जानता है, सिंध भी भारत में वापस आ जाए…’, राजनाथ सिंह ने PAK के जिस जगह का किया जिक्र, क्या है उसका इतिहास?

राजनाथ सिंह ने आगे कहा, 'मैं यह भी बताना चाहूंगा कि लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी एक किताब में लिखा है कि सिंधी हिंदू, खासकर उनकी पीढ़ी के लोग, अभी भी सिंध को भारत से अलग करना स्वीकार नहीं कर पाए हैं.'

Author Written By: Akarsh Shukla Author Published By : Akarsh Shukla Updated: Nov 23, 2025 23:53

Indus Valley Civilization: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को एक कार्यक्रम में पाकिस्तान के सिंध प्रांत को लेकर कुछ ऐसा कहा, जिसने पड़ोसी मुल्क तक हलचम मचा दी. रक्षा मंत्री ने कहा कि कौन जानता है, कल सिंध भी भारत में वापस आ जाए. सिंध क्षेत्र आज भले ही भारत का हिस्सा न हो, लेकिन सीमाएं बदल सकती हैं और यह क्षेत्र भारत में वापस आ सकता है. रक्षा मंत्री ने कहा कि सिंधी हिंदुओं, खासकर लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं की पीढ़ी के लोगों ने सिंध क्षेत्र को भारत से अलग करना कभी स्वीकार नहीं किया.

क्या है सिंध का इतिहास?


राजनाथ सिंह ने आगे कहा, ‘मैं यह भी बताना चाहूंगा कि लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी एक किताब में लिखा है कि सिंधी हिंदू, खासकर उनकी पीढ़ी के लोग, अभी भी सिंध को भारत से अलग करना स्वीकार नहीं कर पाए हैं.’ रक्षा मंत्री के इस बयान ने एक बार फिर 1947 के उस जख्म को ताजा कर दिया, जब बंटवारे के दौरान सिंध भी भारत से अलग होकर पाकिस्तान का हिस्सा बन गया था. सिंधु घाटी का 4500 साल पुराना इतिहास चीख-चीखकर बताता है कि भारत सबसे पुरानी शहरी सभ्यता वाला देश है. वह क्षेत्र न सिर्फ प्राचीन शहर मोहेंजोदड़ो और हड़प्पा का घर है, बल्कि भारत की पहचान के मूल स्तंभों जैसे हिंद, हिंदू और हिंदुस्तान की भी जन्मस्थली माना जाता है.

---विज्ञापन---

यह भी पढ़ें: देश के युवा क्यों हार रहे जिंदगी की जंग? 172451 युवाओं ने खुद को किया खत्म, दिल दहला देगी ये रिपोर्ट

---विज्ञापन---

लाखों सिंधी हिंदुओं के दर्द की कहानी


1947 के विभाजन के बाद सिंध पाकिस्तान में चला गया और लाखों सिंधी हिंदुओं को अपनी जन्मभूमि छोड़कर भारत आना पड़ा. भारत में आज भी सिंधी समुदाय अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखे हुए हैं, जो उस मिट्टी से गहरे जुड़े हुए हैं. सिंध की भाषा आज भी स्कूलों और संस्कृति के माध्यम से जीवित है, हालांकि नई पीढ़ी इसे अधिक अपनाने में कठिनाई महसूस कर रही है. राजनाथ सिंह का यह बयान सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि उस गहरे सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है, जो सिंध को सदियों से भारत का अभिन्न अंग बनाता रहा है.

First published on: Nov 23, 2025 11:53 PM

संबंधित खबरें

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.