तेलंगाना के नामपल्ली में सीबीआई की एक अदालत ने मंगलवार को कर्नाटक के पूर्व मंत्री गली जनार्दन रेड्डी और तीन अन्य को लंबे समय से चल रहे ओबुलापुरम अवैध खनन मामले में दोषी ठहराया। यह फैसला रेड्डी के स्वामित्व वाली ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) से जुड़े बड़े पैमाने पर खनन घोटाले की जांच शुरू होने के कई साल बाद आया है। अदालत द्वारा फैसला सुनवाए जाने के तुरंत बाद सीबीआई ने रेड्डी और अन्य को हिरासत में ले लिया।
14 साल बाद आया फैसला
सीबीआई अदालत ने यह फैसला करीब 14 साल बाद सुनाया है। अवैध खनन मामले में 5 लोगों को दोषी ठहराया गया था, जबकि दो अन्य को बरी कर दिया गया था। वहीं, मुकदमे के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई। जनार्दन रेड्डी के साथ-साथ उनके साले और ओएमसी के एमडी श्रीनिवास रेड्डी, खान एवं भूविज्ञान के तत्कालीन सहायक निदेशक राजगोपाल रेड्डी और रेड्डी के निजी सहायक महफूज अली खान को 7 साल की जेल और 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। साथ ही संबंधित कंपनी पर भी 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
219 गवाहों के बयान दर्ज किए गए
अदालत ने इस फैसले में दोषी व्यक्तियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 409 (आपराधिक विश्वासघात), 468 और 471 (जालसाजी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत 7 साल की कैद की सजा सुनाई है। यह मामला आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में अवैध खनन कार्यों से जुड़ा है और पिछले कुछ वर्षों में इसकी गहन न्यायिक जांच की गई। इस दौरान 3,400 से अधिक दस्तावेजों की जांच की गई और 219 गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
रेड्डी पर क्या थे आरोप?
जनार्दन रेड्डी पर खनन पट्टे की सीमा से छेड़छाड़ करने और कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर बेल्लारी रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में अवैध रूप से खनन करने का आरोप लगाया गया था। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि 2007 से 2009 के बीच अवैध खनन से सरकारी खजाने को 884 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सीबीआई के लोक अभियोजक इंद्रजीत संतोषी और सहायक लोक अभियोजक विष्णु मज्जी ने जांच एजेंसी की ओर से मामले की पैरवी की। सीबीआई मामलों के प्रधान विशेष न्यायाधीश टी रघु राम ने मामले में पूर्व मंत्री सबिता इंद्र रेड्डी और पूर्व नौकरशाह बी कृपानंदम को बरी कर दिया था।
हाई कोर्ट जाएंगे जनार्दन रेड्डी: वकील
जनार्दन रेड्डी के वकील जीतेंद्र रेड्डी ने सजा की पुष्टि करते हुए कहा कि सभी दोषी पक्ष हाई कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना बना रहे हैं। हाई कोर्ट ने पहले आईएएस अधिकारी वाई श्रीलक्ष्मी के खिलाफ मामला खारिज कर दिया था, जिनका नाम भी इस मामले में था। इस बीच, कृपानंद और तेलंगाना की मंत्री सबिता इंद्र रेड्डी, जिन्होंने 2004 से 2009 के बीच आंध्र प्रदेश की खान मंत्री के रूप में काम किया था, उनको भी मामले में क्लीन चिट दे दी गई।
क्या जनार्दन रेड्डी बने रहेंगे MLA?
अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद इस बात की चर्चा होने लगी है कि क्या जनार्दन रेड्डी विधायक बने रहेंगे? क्योंकि 7 साल की सजा सुनाए जाने के बाद रेड्डी अब जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत तत्काल अयोग्यता का सामना कर रहे हैं। प्रावधान में कहा गया है कि किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है और उसे कम से कम 2 साल की सजा सुनाई जाती है तो वह दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य हो जाता है। यह अयोग्यता जेल की अवधि पूरी होने के बाद 6 साल तक जारी रहती है। इसका मतलब यह है कि रेड्डी को न केवल तत्काल प्रभाव से अपनी विधायक सीट खोने का खतरा है, बल्कि अगले 13 वर्षों तक (कारावास के वर्षों के साथ-साथ रिहाई के बाद 6 वर्षों तक) चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
‘विधायक पद के लिए अयोग्य हैं रेड्डी’
वकील राहुल मचैया ने कहा, ‘वह तत्काल विधायक पद के लिए अयोग्य हो गए हैं। उनके पास इसे पलटने का एकमात्र तरीका यह है कि यदि हाई कोर्ट अपील दायर करने के बाद दोषसिद्धि को निलंबित कर दे। यदि दोषसिद्धि को निलंबित नहीं किया जाता है, तो अयोग्यता जारी रहेगी। केवल अपील दायर करना पर्याप्त नहीं है। जनार्दन रेड्डी को अपना विधायक का दर्जा वापस पाने के लिए अपीलीय न्यायालय से दोषसिद्धि का निलंबन प्राप्त करना होगा। तब तक वह विधानसभा में वापस नहीं आ सकते और उन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया जाएगा।’