Volcanoes of India: अफ्रीकी देश इथोपिया में 10000 साल बाद हुए ज्वालामुखी विस्फोट का असर पूरी दुनिया पर देखने को मिला है. धमाके के बाद ज्वालामुखी से 10-15 किलोमीटर ऊपर उठा धुएं और राख का गुबार करीब 5000 किलोमीटर दूर भारत के आसमान तक आ पहुंचा, जो अब चीन की तरफ बढ़ रहा है. ये पहली बार है जब हेली गुब्बी ज्वालामुखी में हुए विस्फोट की राख भारत तक पहुंची है. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां गिनती से ही ज्वालामुखी मौजूद हैं. लेकिन हमारे देश में भी एक एक्टिव ज्वालामुखी है, जिसकी निगरानी खुद भारतीय नौसेना करती है.
भारत का इकलौता एक्टिव ज्वालामुखी
भारत में बहुत सीमित ज्वालामुखी हैं, जिनमें से एक अंडमान निकोबार में स्थित है. आप में से कई लोगों को अब तक इस बात की जानकारी नहीं होगी. आज हम आपको देश के उस ज्वालामुखी के बारे में बताने जा रहे हैं जो भारत का एकमात्र एक्टिव ज्वालामुखी है. अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के बैरन आइलैंड में भारत का इकलौता सक्रिय ज्वालामुखी स्थित है, जो हाल ही में एक हफ्ते के भीतर दो बार फटा. एक्सपर्ट्स का कहना है कि भले ही ये विस्फोट मामूली थे, लेकिन ये धरती के भीतर हो रही गहरी गतिविधियों का संकेत हो सकते हैं.
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समुद्र के बीच खड़ा आग का पहाड़
बैरन आइलैंड अंडमान के उत्तर-पूर्व में स्थित एक छोटा-सा द्वीप है, जो करीब 3.5 वर्ग किलोमीटर में फैला है. यहां कोई स्थायी मानव बस्ती नहीं है, क्योंकि द्वीप का बड़ा हिस्सा ज्वालामुखीय चट्टानों और कठोर लावा से बना हुआ है. द्वीप के बीचों-बीच स्थित यह ज्वालामुखी लगभग 354 मीटर ऊंचा है और समुद्र तल से इसकी चोटी तक का पूरा ढांचा आग से निकली चट्टानों से बना है. बैरन आइलैंड का ज्वालामुखी करीब दो शताब्दियों तक शांत रहा.
200 साल बाद फिर खुली ज्वालामुखी की नींद
1991 में इसमें जबरदस्त विस्फोट हुआ और तब से यह बीच-बीच में सक्रिय होता रहता है. ज्वालामुखी में 13 और 20 सितंबर को हुई ताजातरीन गतिविधियां बताती हैं कि यह अब भी जीवित है. बताया जाता है कि 20 सितंबर के विस्फोट से दो दिन पहले 4.2 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था, जिसका केंद्र भारतीय और म्यांमार प्लेट की सीमा के पास था. भूवैज्ञानिक मानते हैं कि ये विस्फोट सतह के नीचे मौजूद मैग्मा कक्ष में दबाव बढ़ने का नतीजा हैं.










