What is JPC Committee: आज लोकसभा में एक देश -एक चुनाव पर संसद की जेपीसी कमेटी की बैठक होनी है। बैठक की अध्यक्षता बीजेपी सांसद और कानून विशेषज्ञ पीपी चौधरी करेंगे। इस कमेटी का गठन दिसंबर 2024 में संसद में एक प्रस्ताव पारित कराकर किया गया था। इसमें कुल 39 सदस्य हैं। इसमें लोकसभा से 27 सदस्य और राज्यसभा से 12 सदस्य शामिल हैं। इस कमेटी में अनुराग ठाकुर, प्रियंका गांधी, मनीष तिवारी, सुप्रिया सुले और बांसुरी स्वराज जैसे सांसद शामिल हैं। ये जेपीसी संसद में पेश किए गए बिल जनादेश संविधान संशोधन विधेयक 129 (2024) और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक 2024 की जांच करेगी।
वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी क्या जांचेगी?
वन नेशन वन इलेक्शन पर बनी जेपीसी कमेटी देश के संविधान विशेषज्ञों से इस मुद्दे पर अपनी राय लेगी। इसके अलावा चुनाव आयोग के पूर्व आयुक्तों से भी जानेगी कि आयोग के सामने इसको लेकर क्या चुनौतियां होगी? क्या आयोग उन चुनौतियों से निपट पाएगा। इसको लेकर कमेटी अलग-अलग राज्यों का दौरा करेगी और लोगों की राय जानेगी। इसके साथ ही अर्थशास्त्रियों से बात कर यह जानेगी कि चुनावी खर्च को कितना कम किया जा सकता है। यानी अगर यह एक देश एक चुनाव का फैसला लागू होता है तो इससे कितना खर्च आएगा और कितने धन की बचत होगी?
जेपीसी कमेटी कैसे बनती है?
संयुक्त संसदीय समिति का गठन तब होता है जब किसी एक सदन में इस आशय का प्रस्ताव लाया जाता है। इसके बाद जब ये प्रस्ताव दोनों सदनों में स्वीकार कर लिया जाता है तो जेपीसी कमेटी का गठन होता है। इसके अलावा जेपीसी कमेटी का गठन दोनों सदनों के पीठासीन सभापतियों की ओर से भी किया जा सकता है। यानी दोनों में से किसी एक सदन का सभापति दूसरे सभापति को पत्र लिखता है। इसके जरिए भी जेपीसी का गठन हो सकता है।
कितनी सदस्य संख्या?
जेपीसी में लोकसभा के सदस्यों की संख्या राज्यसभा के सदस्यों की तुलना में दोगुनी होती है। जेपीसी कमेटी के लिए सदस्यों की संख्या निर्धारित नहीं है। हर कमेटी में सदस्यों की संख्या अलग-अलग हो सकती है।
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कमेटी की शक्तियां
जेपीसी कमेटी संबंधित विषय के संदर्भ में विशेषज्ञों, संस्थाओं और व्यक्तियों से स्वतः संज्ञान लेकर साक्ष्य प्राप्त कर सकती है। यदि कोई सम्मन के बाद भी जेपीसी के सामने प्रस्तुत नहीं होता है तो उसका आचरण सदन की अवमानना माना जाता है। ससंदीय समितियों की कार्यवाही गोपनीय होती है लेकिन कुछ मामलों में जेपीसी अध्यक्ष को मीडिया ब्रीफिंग करनी होती है। आमतौर पर जेपीसी की कमेटी में मंत्रियों को नहीं बुलाया जाता है कि लेकिन अपवाद के तौर पर कभी-कभार बुलाया भी जा सकता है।
1987 में पहली बार गठित हुई थी जेपीसी
बता दें कि संसद के द्वारा सबसे पहली जेपीसी 1987 में बोफोर्स घोटाले के बाद बनाई गई थी। इसकी अध्यक्षता कांग्रेस सांसद बी. शंकरानंद ने की थी। इसके बाद दूसरी संसदीय समिति 1992 में हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट घोटाला के लिए बनाई गई थी। इसकी अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री रामनिवास मिर्धा ने की थी। इसके बाद केतन पारेख शेयर बाजार घोटाला मामले में 2001 में भी एक कमेटी बनाई गई थी। शीतल पेय कीटनाशक मामले में 2003 में भी ऐसी ही एक कमेटी बनाई गई थी। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले की जांच के लिए 2011 में संसदीय कमेटी बनाई गई थी इसके अध्यक्ष पीसी चाको थे।
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मोदी सरकार के 4 बिल जेपीसी के पास भेजे गए
वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला मामले की जांच के लिए 2013 में छठी जेपीसी गठित की गई थी। 2015 में भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर जेपीसी कमिटी का गठन किया गया था। इसके बाद व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक की जांच के लिए 2019 में जेपीसी बनाई गई थी बाद में जब जेपीसी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची तो यह बिल सरकार ने 2022 में वापस ले लिया और 2023 में सरकार ने नया विधेयक संसद में प्रस्तुत किया। 2024 में दो जेपीसी कमेटी बनी। पहली वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर और दूसरी एक राष्ट्र, एक चुनाव पर जिसके लिए बाद में कमेटी की बैठक आयोजित की गई।