Cyclone Dana: ओडिशा में साइक्लोन दाना को देखते हुए ओडिशा सरकार ने डिजास्टर रेस्पांस मशीनरी को एक्टिव कर दिया है। ये फैसला बीते रविवार को ही ले लिया गया था। 1999 में ओडिशा में आए सुपर साइक्लोन के बाद ओडिशा सरकार ने डिजास्टर रेस्पांस मशीनरी का गठन किया था। इस टीम का मकसद किसी भी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में राहत और बचाव कार्य को जल्द से जल्द जमीन पर उतारना था।
#WATCH ओडिशा: तेज हवाओं और भारी बारिश के कारण धामरा, भद्रक में तबाही देखने को मिली।
---विज्ञापन---प्रदेश में चक्रवाती तूफान दाना के आगमन की प्रक्रिया जारी है। pic.twitter.com/I2JVOz2WB1
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 25, 2024
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1999 के सुपर साइक्लोन के बाद ओडिशा सरकार ने पाया कि रेस्क्यू और सर्च ऑपरेशन में सिविल एडमिनिस्ट्रेशन की मदद के लिए प्रोफेशनली ट्रेंड लोगों की आवश्यकता है। इसके बाद राज्य सरकार ने ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स का गठन किया। ये अपनी तरह की देश की पहली संस्था है। इसकी 20 यूनिट हैं और ओडिशा के 20 जिलों में इसकी तैनाती है।
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ओडिशा के 20 जिलों में तैनाती
ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स का गठन ओडिशा स्पेशल आर्म्ड पुलिस, आर्म्ड पुलिस रिजर्व, इंडिया रिजर्व्ड बटालियन और स्पेशियलाइज्ड इंडिया रिजर्व के सैनिकों को मिलाकर किया गया था। ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स की हर यूनिट में 50 सैनिक होते हैं। हालांकि इनकी फिटनेस और चपलता ऐसी है कि आपदा प्रबंधन से निपटने में पिछले दो दशकों से ODRAF ने प्रभावी भूमिका निभाई है।
ODRAF के सैनिकों को मिलिट्री जैसी ट्रेनिंग दी जाती है। मानव जीवन को बचाने और आपदा की स्थिति में जरूरतमंदों तक पहुंचने के लिए इनकी विशेष होती है। ODRAF की तैनाती फ्लड और साइक्लोन जैसी स्थितियों में होती है। हालांकि इसकी भूमिका को बाद में बदला गया और आपदा के बाद बचाव कार्य के बदले इसे आपदा से पहले तैयारियों में लगाया गया।
यही वजह है कि 1999 के बाद किसी भी तूफान का ओडिशा में जान माल पर बहुत ज्यादा नुकसान नहीं देखा गया है। इसके साथ ही आपदा के बाद की स्थितियों को भी जल्द से जल्द ठीक करने में महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है।