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नीति आयोग रिपोर्ट से ममता बनर्जी हुईं खुश, अमित मालवीय ने किया पलटवार, कहा- राज्य की आर्थिक बदहाली उजागर

Niti Aayog Report: नीति आयोग की लेटेस्ट रिपोर्ट को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भाजपा नेता अमित मालवीय के बीच सोशल मीडिया पर वार छिड़ गया है। एक और जहां ममता बनर्जी नीति आयोग की रिपोर्ट से गदगद हैं। वहीं, अमित मालवीय ने पोस्ट कर कहा है कि नीति आयोग की लेटेस्ट रिपोर्ट तृणमूल कांग्रेस सरकार के अंतर्गत पश्चिम बंगाल की आर्थिक बदहाली को पूरी तरह से उजागर करती है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Satyadev Kumar Updated: Jul 15, 2025 22:15
Mamata Banerjee, Amit Malviya, NITI Aayog report।
नीति आयोग की लेटेस्ट रिपोर्ट पर ममता बनर्जी हुईं खुश, अमित मालवीय ने किया पलटवार।

नीति आयोग की लेटेस्ट रिपोर्ट को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भाजपा नेता अमित मालवीय के बीच सोशल मीडिया पर द्वंद छिड़ गया है। दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि नीति आयोग ने आधिकारिक रूप से यह मान्यता दी है कि बंगाल ने रोजगार समेत कई प्रमुख सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा था कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि नीति आयोग ने पश्चिम बंगाल के मजबूत सामाजिक-आर्थिक प्रदर्शन को मान्यता दी है, विशेष रूप से रोजगार के क्षेत्र में। वर्ष 2022–23 में राज्य की वार्षिक बेरोजगारी दर केवल 2.2% रही, जो कि राष्ट्रीय औसत 3.2% से 30 प्रतिशत कम है। अब भाजपा नेता अमित मालवीय ने ममता बनर्जी के इस दावे को झूठा करार दिया है। मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि नीति आयोग की लेटेस्ट रिपोर्ट तृणमूल कांग्रेस सरकार के अधीन पश्चिम बंगाल की आर्थिक बदहाली को पूरी तरह से उजागर करती है।

क्या कहा अमित मालवीय ने?

भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबा पोस्ट कर लिखा, ‘नीति आयोग की लेटेस्ट रिपोर्ट तृणमूल कांग्रेस सरकार के तहत पश्चिम बंगाल की आर्थिक बदहाली को पूरी तरह से उजागर करती है। राज्य का प्रचार तंत्र चुनिंदा आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है, जबकि वास्तविक वित्तीय संकेतक एक गंभीर तस्वीर पेश करते हैं:-

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1. महिला श्रम बल भागीदारी दर राष्ट्रीय औसत से कम है – जो समावेशी विकास पर सीधा प्रहार है।

2. पश्चिम बंगाल की वास्तविक सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) वृद्धि दर औसतन केवल 4.3% रही, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।

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3. राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में राज्य की हिस्सेदारी घटी है – 1990-91 में 6.8% से घटकर 2021-22 में केवल 5.85% रह गई है।

4. प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से लगभग 20% पीछे है (2021-22 के आंकड़े)।

5. उच्चतर माध्यमिक और उच्च शिक्षा दोनों में सकल नामांकन अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है, जो भविष्य के वर्कफोर्स के लिए खतरे की घंटी है।

6. बंगाल उच्च राजकोषीय घाटे, बिगड़ते ऋण-से-जीडीपी अनुपात और लगातार राजस्व घाटे से जूझ रहा है।

7. राज्य ने पिछले 5 वर्षों में से केवल 2 वर्षों में ही अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य हासिल किए हैं और केवल एक बार ही ऋण-से-जीएसडीपी अनुपात का लक्ष्य हासिल किया है।

8. 2016-17 और 2020-21 के बीच राजस्व घाटा अनसुलझा रहा, जो राजकोषीय कुप्रबंधन का स्पष्ट संकेत है।

यह केवल कमजोर प्रदर्शन ही नहीं, बल्कि यह एक डाउनवर्ड चक्र है। पश्चिम बंगाल आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है, राज्य का खजाना खाली है और आय के नए रास्ते बनाने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया जा रहा है। टीएमसी के शासन मॉडल ने बंगाल को केंद्रीय धन और करों पर अधिक से अधिक निर्भर बना दिया है, जबकि वह दिल्ली के खिलाफ बोलती रहती हैं। ममता सरकार का कोई विजन नहीं है,  राज्य में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है।

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क्या कहा था ममता बनर्जी ने?

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट कर कहा था कि ‘नीति आयोग ने आधिकारिक रूप से यह मान्यता दी है कि बंगाल ने रोजगार समेत कई प्रमुख सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। नीति आयोग की हाल ही में जारी रिपोर्ट में बंगाल की कई अन्य उपलब्धियों को भी उजागर किया गया है। इसमें साक्षरता दर – पश्चिम बंगाल की साक्षरता दर 76.3% है, जो राष्ट्रीय औसत 73% (2011 के आंकड़ों के अनुसार) से बेहतर है।’

उन्होंने आगे कहा कि, ‘वहीं शिक्षा परिणाम – राज्य में स्कूल छोड़ने की दर कम है और 10वीं व 12वीं की परीक्षाओं में पास प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से अधिक है। जबकि जीवन प्रत्याशा – बंगाल में औसतन जीवन प्रत्याशा 72.3 वर्ष (2020) है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। राज्य में लिंगानुपात – राज्य में प्रति 1000 पुरुष जन्मों पर 973 महिला जन्म, जबकि राष्ट्रीय औसत 889 है। वहीं शिशु मृत्यु दर – प्रति 1000 जीवित जन्मों पर केवल 19 मौतें (2020), राष्ट्रीय औसत से बेहतर। जबकि कुल प्रजनन दर (टीएफआरTFR) – 1.6 बच्चे प्रति महिला (2019-21), यह भी राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। इसके साथ ही पीने के पानी तक पहुंच – बंगाल में घरों तक पीने के पानी की पहुंच भी राष्ट्रीय औसत से अधिक है।’

ममता बनर्जी ने कहा, ‘इन उपलब्धियों से स्पष्ट है कि पश्चिम बंगाल समावेशी और टिकाऊ विकास के लिए लगातार प्रयासरत है। यह सभी के सहयोग और प्रतिबद्धता का परिणाम है। मैं उन सभी को बधाई देती हूं जिन्होंने इसे संभव बनाया है।’

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First published on: Jul 15, 2025 10:10 PM

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