Waqf Amendment Act: वक्फ संशोधन एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। नए वक्फ कानून की संवैधानिक मान्यता को चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने सुनवाई की। गत 15 मई को हुई सुनवाई में बेंच ने मामले में केंद्र सरकार और याचिकाकर्ताओं को हलफनामा पेश करने को कहा था।
19 मई तक हलफनामा पेश किया जाना था, लेकिन इस बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता वकील हैं। याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल हैं। पहले मामले की सुनवाई पूर्व CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच कर रही थी।
#SupremeCourt to hear petitions related to the constitutional validity of the Waqf (Amendment) Act 2025 #WaqfAmendmentAct pic.twitter.com/ZNnGMf4GMG
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क्या कहते हैं याचिकाकर्ता?
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लमानों को सदस्य न बनाया जाए, इससे वक्फ संपत्ति का फैसला लेने में सहमति नहीं बनेगी। डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को वक्फ संपत्ति का अधिकार देने के प्रावधान का भी विरोध जताया गया है। ऐसा करने से मामलों में सरकार का दखल बढ़ने की दलील दी गई है।
वक्फ कानून को मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला बताया गया है, क्योंकि वक्फ बोर्ड पर जिस तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं, वैसे प्रतिबंध अन्य धर्मों के ट्रस्ट पर नहीं लगाए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि वक्फ कानून संविधान के कई अनुच्छेदों, अधिकारों और प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25, 26, अल्पसंख्यक अधिकार को लेकर 29 और संपत्ति का अधिकार 300A का उल्लंघन वक्फ कानून करता है।
Big Reform!
Section 40 of the Waqf Act, which allowed Waqf Boards to declare any property as Waqf, is now scrapped.#WaqfAmendmentBill 2024 passed in Lok Sabha, curbing unchecked powers. #WaqfBill #WaqfReform pic.twitter.com/dlKqEHSIl6— NewsFreak 2.0 (@_peacekeeper2) April 2, 2025
अब तक क्या-क्या हुआ?
1. 8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में बिल पेश किया गया। संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने बिल को पेश किया था। बिल पर विपक्ष ने काफी हंगामा किया।
2. वक्फ बिल को लेकर जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) गठित करने का फैसला लिया गया। 9 अगस्त, 2024 को 31 मेंबर्स वाली जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) गठित की गई। 6 महीने में कमेटी ने 34 बैठकें की।
3. 30 जनवरी 2025 को कमेटी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को रिपोर्ट सौंपी। 500 पेज की रिपोर्ट में सरकार की ओर से दिए गए सुझावों पर कानून में 14 बदलाव करने की सिफारिश की गई। विपक्ष के 44 बदलाव रिजेक्ट कर दिए गए।
4. 28 मार्च, 2025 को देश के गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा कि वक्फ बिल एक बार फिर लोकसभा में पेश किया जाएगा और इसे संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश करेंगे। एक अप्रैल को मंत्री किरने रिजिजू ने बिल पेश किए जाने की जानकारी दी।
5. 2 अप्रैल को बिल लोकसभा में पेश हुआ और बहुमत से पास हुआ। 3 अप्रैल को बिल राज्यसभा में पेश हुआ और बहुमत से पास हुआ। 5 अप्रैल को राष्ट्रपति मुर्मू ने कानून को मंजूरी दे दी। 8 अप्रैल को MHA ने कानून लागू करने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया।
Kerala Government Approaches Supreme Court Against Waqf (Amendment) Act, 2025: Says It May Harm Muslim Community’s Rights
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6. 11 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुए और माहौल बिगड़ने की आशंका से हुर्रियत नेताओं को नजरबंद रखा गया। 12 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में हिंसात्मक प्रदर्शन हुआ। 3 लोगों की जान गई।
7. 12 अप्रैल को त्रिपुरा के उनाकोटी जिले में कानून के विरोध में निकाली गई रैली में हिंसा हुई। 13 अप्रैल को असम के सिलचर में विरोध प्रदर्शन के लिए जुटे लोगों ने पुलिस पर पथराव किया। प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज तक करना पड़ा।
8. तमिलगा वेट्री कजगम (TVK) के अध्यक्ष और अभिनेता विजय ने वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट में कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट सिर्फ 5 मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई कर रही है।
9. सुनी जा रही 5 याचिकाओं में एक याचिका AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की है। 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में मामले की पहली सुनवाई है। बेंच ने केंद्र सरकार को पूरे मामले को लेकर स्पष्टीकरण देते हुए एक हलफनामा पेश करने को कहा।
10. केंद्र सरकर ने मामले में 25 अप्रैल को हलफनामा दायर किया। इसमें कहा गया कि वक्फ कानून पूरी तरह संवैधानिक है और संसद से नियमानुसार पास कराया गया है। 1332 पेजों के हलफनामे में कानून पर रोक नहीं लगाने की मांग की गई।