सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर बहस हुई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय बेंच में कपिल सिब्बल, अभिषेक सिंघवी, राजीव धवन, निजाम पाशा, राकेश द्विवेदी, सीयू सिंह जैसे वकीलों ने वक्फ कानून के खिलाफ दलील दी। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सबसे पहले कौन दलील रखेगा? पहले दो मुद्दों पर दलील सुनेंगे कि इसे सुप्रीम कोर्ट को सुनना चाहिए या हाईकोर्ट को भेजा जाना चाहिए। आप यह बताए कि किस बात पर बहस करना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट में आज यानी बुधवार को सुनवाई पूरी हो गई, अब गुरुवार को 2 बजे से फिर बहस होगी।
कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि यह कानून धर्म की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) और धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 26) के खिलाफ है। अगर कोई अपनी संपत्ति वक्फ को देना चाहता है तो उसे क्यों साबित करना चाहिए कि वह कम से कम 5 साल से मुस्लिम है। अगर मैं मुस्लिम पैदा हुआ तो मुझे यह क्यों साबित करना होगा। उन्होंने कहा कि नए कानून की धारा 3(ए)(2) के तहत वक्फ-अल-औलाद के गठन से महिलाओं को विरासत से वंचित नहीं किया जा सकता है। इस बारे में कहने वाला राज्य कौन होता है?
हिंदुओं के लिए भी संसद ने कानून बनाया : CJI
सीजेआई संजीव खन्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंदुओं के लिए भी संसद ने कानून बनाया है। संसद ने मुसलमानों के लिए भी कानून बनाया है। अनुच्छेद 26 धर्मनिरपेक्ष है, जो सभी समुदायों पर लागू होता है। कपिल सिब्बल ने कहा कि इस्लाम में मृत्यु के बाद उत्तराधिकार मिलता है, लेकिन यह उससे पहले ही हस्तक्षेप कर रहे हैं। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में दूसरे धर्म के मेंबर होने की व्यवस्था के खिलाफ सिब्बल ने दलील दी कि यह संविधान में अनुच्छेद 26 में दिए हुए धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है।
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सिब्बल ने दलील दी कि नए कानून में कहा गया है कि संरक्षित स्मारक की वक्फ की घोषणा अवैध होगी। मैं इसका विरोध कर रहा हूं। इसपर सीजेआई ने कहा कि ऐसे कितने मामले होंगे? मेरी समझ में यह तो आपके पक्ष में है। अगर इसे प्राचीन स्मारक घोषित किए जाने से पहले वक्फ घोषित किया गया है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यह वक्फ ही रहेगा। तब तक आपको आपत्ति नहीं करनी चाहिए जब तक कि इसे संरक्षित घोषित किए जाने के बाद वक्फ घोषित नहीं किया जा सकता।
सिब्बल ने वक्फ में गैर मुस्लिमों को शामिल किए जाने पर जताई आपत्ति
कपिल सिब्बल ने वक्फ काउंसिल और बोर्ड के गैर मुस्लिमों को भी शामिल किए जाने पर एतराज जताते हुए कहा कि अब तक सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोग इनका हिस्सा रहे हैं। दूसरे धर्म की दान से जुड़ी संपत्तियों के मामले में भी यही व्यवस्था रही है। ये नया कानून 200 मिलियन लोगों के साथ ज्यादती है। सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने कपिल सिब्बल की दलीलों पर अपनी सहमति जताते हुए कहा कि मैं सिब्बल की दलीलों को एडॉप्ट कर रहा हूं।
इस्तेमाल के आधार पर 8 लाख में से 4 लाख प्रॉपर्टी वक्फ बनी : धवन
राजीव धवन ने कहा कि वक्फ इस्लाम का आवश्यक और अभिन्न अंग है। धर्म विशेष रूप से दान इस्लाम का आवश्यक और अभिन्न अंग है। अभिषेक मनु सिंघवी ने भी वक्फ प्रावधान खत्म होने पर सवाल उठाया। सिंघवी ने कहा कि 8 लाख में से 4 लाख प्रॉपर्टी सिर्फ इस्तेमाल के आधार पर वक्फ बनी है। उन्होंने कानून के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक की मांग की और कहा कि उन प्रावधानों पर तत्काल रोक लगाए जाने की जरूरत है।
दिल्ली HC को भी वक्फ की प्रॉपर्टी बताया गया था : संजीव खन्ना
CJI जस्टिस संजीव खन्ना ने सुनवाई के दौरान कहा कि जब मैं दिल्ली हाई कोर्ट में था, तब हाई कोर्ट को भी वक्फ की प्रॉपर्टी बताया गया था। हालांकि, आप हमारी बात को गलत तरीके से मत लीजिए। हमारा ये कहने का मतलब नहीं है कि वक्फ की ओर से सारी प्रॉपर्टी को गलत तरीके से रजिस्टर्ड किया गया है। हम इस मसले को सुनवाई के लिए हाई कोर्ट के पास भी भेज सकते हैं। हमें इस बात का फायदा मिलेगा कि जब केस हमारे पास आएगा तो हमारे पास हाई कोर्ट का एक जजमेंट भी होगा।
जानें सॉलिसिटर जनरल ने क्या दी दलील?
सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि यह कानून विस्तृत चर्चा और संसदीय बहस के बाद बना है। जेपीसी में भी चर्चा हुई। JPC ने 38 बैठकें कीं। प्रमुख शहरों का दौरा किया और परामर्श किया गया। 29 लाख सुझावों पर गौर किया गया। CJI ने वक्फ बाय यूजर के प्रावधान को हटाने पर सवाल उठाते हुए सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि अंग्रेजी शासन काल से पहले वक्फ रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं थी। बहुत सारी मस्जिदें 13वीं, 14वीं और 15वीं शताब्दी की बनी हैं। आप चाहते हैं कि वो आपको सेल डीड दिखाएं, कहां से दिखाएंगे।
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