Vijay Rupani Profile: 12 जून 2025 का दिन भारतीय एविएशन इंडस्ट्री के लिए एक काला दिन बन गया। इस दिन भारतीय समय के अनुसार दोपहर 1 बजकर 39 पर एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान (AI171) क्रैश हो गया। इस विमान में 230 यात्रियों के साथ 10 क्रू मेंबर और दो पायलट मौजूद थे। इसके साथ ही विमान में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी थे। जिनका इस हादसे में निधन हो गया। एयर इंडिया का विमान अहमदाबाद से लंदन जा रहा था, टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद मेघानी नगर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
हादसे का शिकार बने गुजरात के पूर्व सीएम 68 वर्षीय विजय रूपाणी के निधन पर देश के बड़े राजनेताओं ने भी शोक व्यक्त किया है। रूपाणी को उनके सौम्य स्वभाव, सादगी और जमीनी स्तर पर काम करने की शैली के लिए हमेशा याद किया जाना जाता था।
म्यांमार में हुआ था जन्म
विजय रामनिकलाल रूपाणी का जन्म 2 अगस्त 1956 को रंगून (अब यांगून, म्यांमार) में एक जैन बनिया परिवार में हुआ था। उनके पिता रामनिकलाल रूपाणी एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता थे, और उनकी मां मायाबेन एक गृहिणी थीं।
विजय सात भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। 1960 में म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता के कारण उनका परिवार भारत आ गया और गुजरात के राजकोट में बस गया। यह वह शहर था, जहां से विजय रूपाणी ने अपने जीवन और राजनीति की नई शुरुआत की।
विजय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट से ही पूरी की। उन्होंने सौराष्ट्र विश्वविद्यालय से बीए और बाद में एलएलबी की डिग्री हासिल की। अपनी पढ़ाई के दौरान ही वे राजनीति की ओर आकर्षित हुए। कॉलेज के दिनों में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े, जिसको राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की छात्र शाखा माना जाता है। इस दौरान उनकी नेतृत्व क्षमता और सामाजिक कार्यों में रुचि ने उन्हें एक उभरते हुए युवा नेता के रूप में पहचान दिलाई।
1971 में हुई राजनीतिक करियर की शुरुआत
विजय रूपाणी का औपचारिक राजनीतिक सफर 1971 में शुरू हुआ, जब वे जनसंघ में शामिल हुए। यह वह दौर था, जब जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी की नींव बन रही थी।
1980 में बीजेपी के गठन के बाद, रूपाणी ने पार्टी के लिए सक्रिय रूप से काम शुरू किया। उनकी जमीनी स्तर की सक्रियता और संगठनात्मक कौशल ने उन्हें जल्द ही पार्टी में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।
1987 में उन्होंने राजकोट नगर निगम के कॉर्पोरेटर के रूप में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। 1996-1997 में वे राजकोट के मेयर बने, जहां उन्होंने शहर के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनकी प्रशासनिक क्षमता और पारदर्शी कार्यशैली ने उन्हें स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया।
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साल 2006 में बने सांसद
साल 2006 में रूपाणी को राज्यसभा सांसद के रूप में चुना गया, जहां उन्होंने 2012 तक अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान, उन्होंने गुजरात सरकार में परिवहन, श्रम, और जल आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों को भी संभाला।
2016 में बने गुजरात के मुख्यमंत्री
7 अगस्त 2016 को विजय रूपाणी ने आनंदीबेन पटेल के बाद गुजरात के 16वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। यह उनके राजनीतिक करियर का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव था। 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में, उन्होंने राजकोट पश्चिम सीट से जीत हासिल की और बीजेपी को एक बार फिर सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने राज्य में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किए।
रूपाणी के नेतृत्व में गुजरात ने औद्योगिक विकास में नई ऊंचाइयां छुईं। उन्होंने ‘वाइब्रेंट गुजरात’ समिट को बढ़ावा दिया, जिसके जरिए राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश आया। इसके अलावा, उन्होंने किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू कीं, जिसमें सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई परियोजनाएं और फसल बीमा योजनाएं शामिल थीं। उनकी सरकार ने ‘मुख्यमंत्री अमृतम योजना’ को भी विस्तार दिया, जिसके तहत गरीब परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की गईं।
राष्ट्रीय स्तर पर दिया योगदान
सितंबर 2021 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद, विजय रूपाणी ने पार्टी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर काम शुरू किया। 2022 में, उन्हें पंजाब और चंडीगढ़ बीजेपी का प्रभारी नियुक्त किया गया। इस भूमिका में, उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव और लुधियाना वेस्ट उपचुनाव में पार्टी के लिए सक्रिय रूप से काम किया। उनकी रणनीति और जमीनी स्तर पर सक्रियता ने पंजाब में बीजेपी के वोट शेयर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
कैसा रहा व्यक्तिगत जीवन?
विजय रूपाणी का विवाह अंजलि रूपाणी से हुआ था, जो बीजेपी की महिला विंग की सदस्य हैं। दंपति के तीन बच्चे हैं। इसमें एक बेटी राधिका और दो बेटे, रुशभ और पुजित हैं। राधिका की शादी चार्टर्ड अकाउंटेंट निमित मिश्रा से हुई है, और वे अपने बेटे शौर्य के साथ लंदन में रहते हैं।
एक सौम्य और समर्पित नेता की थी छवि
विजय रूपाणी को उनके सहयोगी और प्रशंसक उनको एक ऐसे नेता के रूप में याद करते हैं, जिन्होंने हमेशा जनता की सेवा को प्राथमिकता दी। उनकी सादगी, करुणा और जमीनी स्तर पर काम करने की शैली ने उन्हें एक अलग पहचान दी। पंजाब बीजेपी के प्रभारी के रूप में, उन्होंने कार्यकर्ताओं के बीच एक गहरी छाप छोड़ी। पंजाब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘विजय रूपाणी जी का निधन न केवल गुजरात, बल्कि मेरे लिए भी एक व्यक्तिगत क्षति है। उनकी सादगी और बुद्धिमत्ता हमेशा याद रहेगी।’
रूपाणी का निधन भारतीय राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके द्वारा किए गए कार्य और उनकी विरासत हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति देश की गहरी संवेदनाएं हैं।
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