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किसान परिवार से उपराष्ट्रपति के पद तक का सफर, ऐसा रहा जगदीप धनखड़ का कार्यकाल

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मानसून सत्र के बीच उनके इस्तीफे दिए जाने से हर कोई हैरान है। उपराष्ट्रपति बनने से पहले जगदीप पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके थे। उस दौरान जगदीप अपने सख्त रुख और अनुशासनप्रिय कार्यशैली के लिए चर्चा में रहे।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Md Junaid Akhtar Updated: Jul 22, 2025 00:20
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना त्याग पत्र राष्ट्रपति को भेज दिया है। इसके बाद से जगदीप धनखड़ के राजनीतिक जीवन पर चर्चा शुरू हो गई। एक किसान परिवार में पैदा हुए जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर कैसा रहा है। कैसे वो राजस्थान के झुंझुनू जिले से निकलकर देश के उपराष्ट्रपति के पद तक पहुंचे। आईए आपको उनकी राजनीतिक यात्रा से रूबरू कराते हैं।

झुंझुनू जिले में हुआ था जन्म

राजस्थाना के झुंझुनू जिले में एक साधारण किसान परिवार में 18 मई 1951 को जगदीप धनखड़ का जन्म हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा गांव के स्कूल से पूरी हुई थी। इसके बाद स्कॉलरशिप पर चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल में पढ़ाई की, फिर उनका चयन नेशनल डिफेंस अकादमी में हो गया था। बताया जाता है कि चयन होने के बाद भी वो वहां नहीं गए। उन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज से BSC (ऑनर्स) की डिग्री और राजस्थान यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद जयपुर में रहकर वकालत शुरू की और राजस्थान हाई कोर्ट में भी प्रेक्टिस की।

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शानदार रहा है राजनीतिक सफर

जगदीप धनखड़ ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत जनता दल पार्टी से की थी। इसके बाद धनखड़ कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में में रहे। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जगदीप धनखड़ 1989-1991 तक जनता दल के सांसद रहे। 1991 में कांग्रेस में शामिल होकर अजेमर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद जगदीप राजस्थान की किशनगढ़ सीट से चुनाव लड़े और विधायक बन गए। इसके बाद 1998 में झुंझुनू से लोकसभा चुनाव लड़ा, जहां तीसरे स्थान पर रहे। 2003 में वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा शामिल हो गए। 2008 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने राजस्थान में बीजेपी के लिए प्रचार किया।

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चौधरी देवीलाल से हुए थे प्रभावित

बताया जाता है कि जगदीप धनखड़ राजनेता नहीं बनना चाहते थे। लेकिन चौधरी देवीलाल से प्रभावित होकर उन्होंने राजनीति में करियर बनाने के लिए कदम रख दिया। 1989 में देवीलाल के 75वें जन्मदिन पर वे 75 गाड़ियों के काफिले के साथ दिल्ली पहुँचे। उस साल हुए लोकसभा चुनाव में वी.पी. सिंह के जनता दल ने उन्हें झुंझुनू से टिकट दिया और वे सांसद बन गए। वीपी सिंह की सरकार में देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने और धनखड़ को केंद्र में मंत्री पद मिला।

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First published on: Jul 21, 2025 11:59 PM

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