---विज्ञापन---

देश

निशिकांत दुबे के बाद उपराष्ट्रपति के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग, अटॉर्नी जनरल से मांगी सहमति

Waqf Amendment Act: वक्फ अधिनियम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इस बीच भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर बड़ा बयान दिया था। निशिकांत दुबे के बयान ने तूल पकड़ लिया है और अब उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई है। साथ ही वक्फ अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए न्यायपालिका के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की थी। अब उपराष्ट्रपति के खिलाफ भी अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई है।

Author Reported By : Prabhakar Kr Mishra Edited By : Satyadev Kumar Updated: Apr 21, 2025 10:15
New Delhi, Probe Conduct Of 12 Opposition MPs, Jagdeep Dhankhar, Rajya Sabha, Rajya Sabha bulletin, Congress, Aam Aadmi Party (AAP), Imran Prattapgarhi, Sanjay Singh
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़। (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट के बारे में विवादास्पद बयान को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ कोर्ट से अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने अवमानना की कार्रवाई के लिए एटॉर्नी जनरल की सहमति मांगी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के एक और वकील शिवकुमार त्रिपाठी ने भी निशिकांत दुबे के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी के कार्यालय में अर्जी दी है। वहीं, अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला चलाने की मांग की गई है। केरल के वकील सुभाष थीक्कदन ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के लिए अटॉर्नी जनरल की सहमति मांगी है।

---विज्ञापन---

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने क्या कहा था?

वक्फ अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में राज्यसभा के 6वें बैच के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए न्यायपालिका के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि ‘हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और किस आधार पर? संविधान के तहत आपके पास एकमात्र अधिकार अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या करना है। वहां, 5 न्यायाधीश या उससे ज्यादा होने चाहिए। अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है।’

धनखड़ ने न्यायपालिका पर उठाए थे सवाल

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने हालिया बयान में भारतीय न्यायपालिका की कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि लोगों का न्यायिक प्रणाली में विश्वास लगातार कम होता जा रहा है। उन्होंने भारत के राष्ट्रपति को कार्यवाही करने के लिए निर्देश देने के न्यायपालिका के अधिकार पर सवाल उठाया। जगदीप धनखड ने हाल ही में हुई एक घटना का जिक्र किया था, जिसमें एक जस्टिस के घर से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की गई थी, फिर भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका की भूमिका, पारदर्शिता और हाल की घटनाओं पर चिंता जताई थी।

---विज्ञापन---

ये भी पढ़ें:- बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट से अवमानना की कार्रवाई की मांग

क्या है अनुच्छेद 142, जिसे धनखड़ ने बताया न्यूक्लियर मिसाइल?

संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि वह पूर्ण न्याय करने के लिए कोई भी आदेश, निर्देश या फैसला दे सकता है, चाहे वह किसी भी मामले में हो। अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को मिले अधिकार के तहत कई फैसले दिए गए हैं। 2014 में दो पक्षों ने अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करके उन्हें तलाक देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 142 विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय को किसी भी मामले में ‘पूर्ण न्याय’ प्रदान करने के लिए आवश्यक महसूस होने वाले किसी भी आदेश को जारी करने या पारित करने का अधिकार देता है।

First published on: Apr 21, 2025 09:54 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें