मुंबई: पार्टी के मुखपत्र सामना में प्रकाशित एक संपादकीय में, शिवसेना ने आवश्यक वस्तुओं पर मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और जीएसटी वृद्धि के खिलाफ कांग्रेस द्वारा पिछले सप्ताह के राष्ट्रव्यापी विरोध में शामिल नहीं होने के लिए पूर्व एमवीए सहयोगी एनसीपी सहित विपक्षी दलों पर निशाना साधा है।
संपादकीय में यह भी कहा गया है कि ऐसे समय में जब केंद्र ईडी और सीबीआई को उनके पीछे भेजकर विपक्षी दलों के नेताओं को निशाना बना रहा है, तब विपक्षी नेताओं ने कांग्रेस के आंदोलन से किनारा कर लिया। यह लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।
यह संपादकीय तब प्रकाशित किया गया है जब उद्धव ठाकरे ने सामना के मुख्य संपादक पद के रूप में पदभार संभाला है। पहले शिवसेना सांसद संजय राउत के पास ये कमान थी, लेकिन हाल ही में ईडी द्वारा पात्रा चॉल मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करने के लिए कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की सराहना भी की गई। साथ ही कहा गया कि संजय राउत के खिलाफ ईडी की कार्रवाई के बाद शिवसेना उतनी ही आक्रामक है।
लिखा गया है, ‘हालांकि, अन्य विपक्षी नेताओं की भूमिका संदिग्ध है। यह लोकतंत्र और आजादी के लिए चिंताजनक है। ईडी का उपयोग करके, [महाराष्ट्र की] सरकार गिरा दी गई और एक नई सरकार बनाई गई। इस तरीके के इस्तेमाल से महंगाई, बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर भी आवाज दबा दी जाती है। जो लोग अपनी टांगों के बीच पूंछ दबा कर बैठे हैं उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए।’
शिवसेना ने पहली बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी पर भी निशाना साधा।