Water Crisis in Shimla: पूरा उत्तर भारत इन दिनों लू के तेवरों से परेशान है। ऐसे में मैदानी लोग गर्मी से राहत पाने के लिए पहाड़ों का रूख कर रहे हैं। ऐसे में हिमाचल प्रदेश में टूरिस्ट बढ़ने और बारिश नहीं होने के चलते सभी जल स्त्रोत सूख गए हैं। ऐसे में राजधानी शिमला समेत कई शहरों में 3-4 दिन में पानी की आपूर्ति हो रही है। रोजाना पानी की आपूर्ति के लिए अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
राज्य जल अधिकारियों की मानें तो शिमला को रोजाना 43 मिलियन प्रति लीटर पानी की जरूरत है लेकिन उसे केवल 30 एमएलडी पानी ही मिल पा रहा है। बता दें कि शिमला में कुल 276 पंजीकृत होटल हैं वहीं अपंजीकृत होटलों का कोई रिकाॅर्ड नहीं है। ऐसे में होटलों के मालिक पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए निजी टैंकरों से पानी खरीदते हैं और प्रति टैंकर 2 हजार से 5000 रुपए के बीच भुगतान किया जाता है। बता दें कि शिमला को गुम्मा, गिरि, चुरट, चाड, सेग और कोटी-ब्रांडी जैसी अलग-अलग जल परियोजनाओं से पानी की आपूर्ति होती है।
पानी की कमी के लिए अधिकारी दोषी नहीं
शिमला होटल और पर्यटन संघ के अध्यक्ष एम के सेठ ने कहा कि लू और गर्मी तथा बारिश नहीं होने के कारण पीने के पानी की समस्या और बढ़ गई है। उन्होंने कहा अन्यथा पिछले कुछ वर्षों में आपूर्ति सामान्य रहती थी और पीक सीजन के दौरान केवल कुछ टैंकर खरीदने पड़ते थे। उन्होंने कहा कि बारिश न होने के कारण जल स्रोत सूख गए हैं, इसलिए अधिकारियों को भी पानी की कमी के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
2018 में सामने आया था भीषण जल संकट
बता दें कि शिमला में 2018 की गर्मियों के दौरान भी भीषण जल संकट का सामना किया था। हालात यह थे कि शिमला में सप्लाई के लिए पानी नहीं था। उस वक्त हिमाचल में भाजपा की सरकार थी। लोगों ने पानी के लिए कई दिनों तक व्यापक आंदोलन और विरोध प्रदर्शन हुआ था। पीने के पानी की मांग को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने टैंकरों में पानी की आपूर्ति की थी लेकिन ऐसी व्यवस्था पर्याप्त साबित हुई।
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