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कल तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर 5 घंटे बंद रहेंगी उड़ानें, साल में दो बार इस अनुष्ठान के चलते बंद रहती हैं उड़ानें, जानें वजहें

तिरुवनंतपुरम: केरल के तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर 1 नवंबर को पांच घंटे के लिए उड़ानें बंद रहेंगी। साल में दो बार ऐसा होता है जब यहां उड़ानें इस अवधि के लिए बंद की जाती हैं। जानकारी के मुताबिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के अलपसी अराट्टू जुलूस से पहले ऐसा किया जाता है। इस दौरान हवाईअड्डे से […]

Author Published By : Amit Kasana Updated: Oct 31, 2022 16:53
तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डा

तिरुवनंतपुरम: केरल के तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर 1 नवंबर को पांच घंटे के लिए उड़ानें बंद रहेंगी। साल में दो बार ऐसा होता है जब यहां उड़ानें इस अवधि के लिए बंद की जाती हैं। जानकारी के मुताबिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के अलपसी अराट्टू जुलूस से पहले ऐसा किया जाता है। इस दौरान हवाईअड्डे से आवाजाही करने वाली सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को पुनर्निर्धारित कर दिया जाता है।

देवता के स्नान का अनुष्ठान

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर द्वारा सदियों से देवता के स्नान का अनुष्ठान होता है। जिसके चलते हवाईअड्डे को बंद किया जाता है। यह उत्सव साल में दो बार मनाया जाता है। साल के शुरुआत में पहला उत्सव मार्च और अप्रैल के बीच होता है। इसके बाद अक्टूबर और नवंबर के आस-पास यह उत्सव मनाया जाता है।

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पारंपरिक अराट्टू जुलूस

एयरपोर्ट अथॉरिटी ने कहा कि मंगलवार को पांच घंटे के लिए उड़ान सेवाओं को स्थगित कर दिया गया है। बता दें सदियों पुराने विष्णु मंदिर का प्रबंधन पारंपरिक रूप से मंदिर के वारिस त्रावणकोर के पूर्व शासक मार्तंड वर्मा के परिजनों द्वारा एक हजार से अधिक सालों से किया जा रहा है। हवाईअड्डा हर साल पारंपरिक अराट्टू जुलूस में अराट्टू- देवता का परंपरागत स्नान होता है।

कृष्ण स्वामी के उत्सव विग्रह को ले जाते हैं

इस दौरान भगवान विष्णु की मूर्ति को शंकुमुघम समुद्र तट पर ले जाया जाता है। जो तिरुवनंतपुरम में हवाई अड्डे के ठीक पीछे है। जुलूस के दौरान गरुड़ वाहन में पुजारी सैकड़ों लोगों और चार हाथियों के साथ समृद्ध सजावटी आवरणों के साथ देवताओं पद्मनाभस्वामी, नरसिम्हा मूर्ति और कृष्ण स्वामी के उत्सव विग्रह को ले जाते हैं और यह जुलूस रनवे से शंकुमुघम बीच तक जाता है। इस समुद्र तट में डुबकी लगाने के बाद मूर्तियों को पारंपरिक मशालों के साथ जुलूस के साथ मंदिर में वापस ले जाया जाएगा। जिसके बाद त्योहार का समापन होता है।

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First published on: Oct 31, 2022 04:53 PM

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