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‘भूतों का गांव’: साल में सिर्फ एक रात दिखाई देते हैं इंसान; सुबह होते ही फिर हो जाता है वीरान

Story of Benagram-The Haunted Village: देश-प्रदेश की सत्ता में काबिज राजनेता विकास के दावे करते नहीं थकते, लेकिन दूसरी ओर हकीकत इनसे कोसों दूर होती है। पश्चिमी बंगाल का एक गांव है बेनग्राम, जो सिर्फ और सिर्फ प्रशासन की करनी की वजह से भूतों के गांव के नाम से इस देश में जाना जाता है।

Edited By : Balraj Singh | Updated: Oct 28, 2023 19:47
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Story of Benagram-The Haunted Village: आसनसोल (अमर देव पासवान). ये दुनिया अजीब-ओ-गरीब रहस्यों से भरी पड़ी है। एक से बढ़कर एक रोचक किस्से भी मिल जाते हैं, वहीं कुछ डरावने पहलू भी इस दुनिया में खूब हैं। अब जबकि त्यौहारों का सीजन चल रहा है तो इसी बीच एक ऐसे गांव की कहानी से आपको रू-ब-रू कराया जा रहा है, जिसे भूतों के गांव के नाम से जाना जाता है। एक मशहूर कहावत, ‘वहीं बच्चों का खेलना-वहीं भूतों का वास’ यहां एकदम बेमानी है। कारण, साल के 365 में से 364 दिन यहां सिर्फ और सिर्फ भूत ही वास करते हैं। हां सिर्फ एक रात ही ऐसी होती है, जब यहां यहां इंसानी चेहरे नजर आते हैं। जहां तक इसके पीछे की वजह की बात है, गांव छोड़ चुके लोग इस हालत के लिए सिर्फ प्रशासन को जिम्मेदार मानते हैं।

  • 24 साल पहले एकाएक खाली हो गया था बंगाल के राजधानी नगर कोलकाता से 213 किलोमीटर दूर स्थित गांव बेनग्राम

बेनग्राम नामक यह भूतिया गांव पश्चिमी बंगाल के राजधानी नगर कोलकाता से 213 किलोमीटर दूर आसनसोल इलाके में स्थित है। इस गांव में मां लखी का इकलौता मंदिर है, जहां हर साल बड़ी रौनक होती है। इस बार फिर से यहां यही रौनक दिखने वाली है। इंतजार है तो बस शाम होने का। इसके बाद रात में यहां लोग एक बार फिर अपने परिवार के साथ इकठ्ठा होंगे। मां लखी के इस मंदिर में पूरी रात पूजा-अर्चना करेंगे। मां को भोग लगाने के बाद सभी लोग प्रसाद ग्रहण करेंगे। इसके बाद सुबह होते ही गांव फिर दोबारा खाली हो जाएगा। यहां नजर आएगा तो सिर्फ दूर-दूर तक पसरा सन्नाटा और मां लखी का वीरान मंदिर। सिर्फ एक रात के लिए रौनक-मेला लगाने वाले ये लोग वो लोग हैं, जो 24 साल पहले गांव को छोड़ चुके हैं।

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बताया जा रहा है कि इस गांव पर किसी भूत-प्रेत का साया है। हालांकि दूसरा पहलू यह है कि लगभग 24 साल पहले गांव में न पीने के लिए पानी था और न रात में जहरीले जीव-जंतुओं आदि से बचने में मददगार होने वाली रौशनी यानि बिजली की व्यवस्था थी। गांव की बगल से गुजरती रेलवे लाइन पर रोज कोई न कोई लाश पड़ी मिलती थी। कुछ आत्महत्या कर लेते थे तो कुछ ट्रेन से गिरकर हादसे का शिकार हो जाते थे। लोगों में भय का भूत इस कदर घर कर गया कि फिर एक ही रात में अचानक पूरा गांव खाली हो गया था।

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वजह पर लोग बोले-वक्त रहते सुविधाएं देती सरकार तो नहीं होती ये हालत

अब पिछले 24 साल से यह गांव उजाड़ है। लगभग सात साल से पहले इस गांव में बिजली पहुंच चुकी है। सड़क बन चुकी है, पीने के पानी की पाइप लाइन भी बिछ चुकी है। बावजूद इसके गांव की गलियों में सिवाय सन्नाटे के कुछ नजर नहीं आता। सिर्फ एक आश्विन पूर्णमासी की रात होती है, जब यहां लोग अपने-अपने परिवारों के साथ हंसते-गाते मौज मनाते देखे जा सकते हैं। ये लोग यहां सिर्फ मां लखी की पूजा करने के लिए आते हैं। हर साल यहां पूजा-अर्चना करके मन्नत मांगते हैं कि काश वो दिन आ जाए, जब वो यहां फिर से रहने लग जाएं। हालांकि इस बारे में न्यूज 24 के कैमरे के सामने लोगों ने भूत जैसी बात से साफ इनकार किया है, लेकिन जब गांव में नहीं लौटने को लेकर बात की तो अनिवासी ग्रामीणों ने कहा कि सरकार ने वक्त रहते तो सुविधा दी नहीं, अब जिन सुविधाओं का दावा किया जा रहा है, वो खेती सूख जाने के बाद बारिश से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं।

First published on: Oct 28, 2023 07:41 PM
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