ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के औपचारिक रूप से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल होने के बाद एनडीए को राज्यसभा में स्पष्ट बहुमत मिल गया है। अब NDA के पास 129 सांसदों का समर्थन है, जिसमें मनोनीत और निर्दलीय सांसदों का सहयोग भी शामिल है। यह 2014 के बाद पहला मौका है जब एनडीए को उच्च सदन में पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ है। राज्यसभा की कुल सदस्य संख्या 245 है, जिसमें से मौजूदा समय में कुछ सीटें रिक्त हैं। पूर्ण बहुमत का आंकड़ा आमतौर पर 123 के आसपास माना जाता है। AIADMK के समर्थन और अन्य सहयोगी दलों और निर्दलीयों के साथ एनडीए अब इस आंकड़े को पार कर 129 सदस्यों के साथ राज्यसभा में स्पष्ट रूप से बहुमत में आ गई है। 2014 के बाद यह पहला मौका है जब एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिला है।
बहुमत अहम क्यों?
अब तक राज्यसभा में बहुमत के अभाव के चलते केंद्र सरकार को कई बार विधेयकों को पारित कराने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। विपक्षी दल कई अहम विधेयकों को रोकने या संशोधित कराने में सफल रहे थे। अब इस बहुमत के बाद एनडीए सरकार को अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
AIADMK की भूमिका
AIADMK पहले भी एनडीए की सहयोगी रही है, हालिया सालों में गठबंधन से बाहर थी। लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा तमिलनाडु में दिए गए बयान और गठबंधन की घोषणा के बाद पार्टी ने फिर से एनडीए में वापसी की है। AIADMK के पास राज्यसभा में 4 सांसद हैं, जिनके समर्थन से यह बहुमत सुनिश्चित हुआ है। 2014 के बाद पहली बार राज्यसभा में मिली यह स्पष्ट बढ़त प्रधानमंत्री मोदी सरकार के लिए वैधानिक स्थायित्व और नीति अमल करने की दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है। इससे न केवल वर्तमान विधायी कार्यों को गति मिलेगी, बल्कि सरकार को भविष्य की योजनाओं को भी प्रभावी रूप से लागू करने में मदद मिलेगी।
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