Supreme Court Suo Moto: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर भारत में बाढ़ और बारिश पर स्वत: संज्ञान लिया है और केंद्र सरकार समेत 4 राज्यों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश और बाढ़ को लेकर गंभीर चिंता जताई है। मुख्य न्यायाधीश BR गवई ने कहा कि इस साल बहुत ज्यादा बारिश और विकराल बाढ़ देखी है। इस पर राज्यों से जवाब मांगा है। पहली नजर में लग रहा है कि बड़े पैमाने पर अवैध कटाई हुई है।
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CJI ने दिया मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला
मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में भी हिमाचल प्रदेश में बाढ़ आने के दौरान बड़ी संख्या में लकड़ी के लट्ठ बहते हुए दिखाई दिए। यह एक गंभीर मुद्दा है और 3 हफ्तों के भीतर चारों राज्य मामले पर जवाब दाखिल करें। वहीं CJI ने सॉलिसिटर जनरल से भी कहा कि केंद्र सरकार भी इस मामले पर गंभीरता से ध्यान दे, क्योंकि यह सिर्फ प्राकृतिक आपदा का मामला नहीं है, बल्कि संभवतः मानव जनित कारणों से बढ़ा हुआ संकट है, जिसने जान-माल का भारी नुकसान कराया है।
पंजाब में ऐसे हैं बाढ़ के बाद हालात
बता दें कि मानसून सीजन 2025 में भारी बारिश ने पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में भयंकर तबाही मचाई है। पंजाब में 1988 के बाद अब तक की सबसे भयंकर बाढ़ आई है। प्रदेश के सभी 23 जिले बाढ़ के पानी में डूबे हैं। वहीं गुरदासपुर, पठानकोट, फाजिल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, होशियारपुर, अमृतसर में हालात सबसे ज्यादा खराब है। 1500 से 1600 गांव बाढ़ के पानी में डूबे हैं। 1.48 लाख हेक्टेयर जमीन पर खड़ी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं।
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करीब 40 लोग जान गंवा चुके हैं। करीब साढ़े 3 लाख लोग बेघर हो गए हैं। सतलुज और रावी नदियां उफान पर बह रही हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाकर राहत शिविर बना दिए गए हैं। लोगों के पुनर्वास की जरूरत महसूस हो रही है। भगवंत मान सरकार ने सभी बाढ़ग्रस्त जिलों को आपदा प्रभावित घोषित कर दिया है। अटारी-वाघा बॉर्डर और करतारपुर कॉरिडोर में पानी भरा हुआ है। भाखड़ा डैम में पानी का स्तर खतरे के निशान को पार कर गया है।
हिमाचल-जम्मू में बारिश से हालात खराब
बता दें कि मानसून सीजन 2025 की बारिश ने हिमाचल प्रदेश में भी भयंकर तबाही मचाई। भारी बारिश के चलते अब तक बादल फटने की 45 और भूस्खलन की 95 घटनाएं हो चुकी हैं। दोनों प्रकार की घटनाओं से कुल्लू, मंडी, किन्नौर, चंबा, कांगड़ा, शिमला, सिरमौर और सोलन जिले प्रभावित हुए। करीब 700 सड़कें बद पड़ी हैं और चंडीगढ़-मनाली हाईवे की सड़क ब्यास नदी में उफान आने से बह गई। ब्यास के अलावा सतलुज, टोंस, यमुना और गिरि नदियां भी उफान पर बह रही हैं। फ्लैश फ्लड में 50 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। 4000 से ज्यादा घर तबाह हो चुके हैं।
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हिमाचल प्रदेश के रामबन, रियासी, उधमपुर, डोडा, कटरा और श्रीनगर में भारी बारिश के कारण हालात खराब हैं। बादल फटने और भूस्खलन होने की घटनाओं ने जान-माल का काफी नुकसान कराया है। चिनाब, झेलम और तवी तीनों नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। जम्मू-श्रीनगर हाईवे की सड़क नदी के पानी में बह गई। वैष्णो देवी यात्रा तक बंद करने की नौबत आ गई है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रत्येक जिले डिप्टी कमिश्नर को 10 करोड़ रुपये राहत कार्यों के लिए आवंटित किए हैं। कई इलाकों में लोग अपने घर छोड़कर पलायन तक कर चुके हैं।