नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि सिखों के कृपाण और पगड़ी की हिजाब से कोई तुलना नहीं है। शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि सिखों के लिए पगड़ी और कृपाण पहनने की अनुमति है। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
Don't compare Turban, Kirpan with Hijab: SC
Read @ANI Story At: https://t.co/5lzeDUpyaL#SupremeCourt #Hijab #Turban #Kirpan #Judiciary pic.twitter.com/CpBKlgQhAb
---विज्ञापन---— ANI Digital (@ani_digital) September 8, 2022
सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील निजामुद्दीन पाशा ने अदालत के समक्ष अपने तर्कों में कृपाण और पगड़ी और हिजाब के बीच समानता लाने की कोशिश की। पाशा ने कहा कि हिजाब मुस्लिम लड़कियों की धार्मिक प्रथा का हिस्सा है। उन्होंने आगे तर्क दिया कि सिख छात्र भी पगड़ी पहनते हैं। पाशा ने जोर देकर कहा कि सांस्कृतिक प्रथाओं की रक्षा की जानी चाहिए।
इस पर न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि सिखों के साथ तुलना उचित नहीं हो सकती है क्योंकि कृपाण ले जाने को संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त है। “इसलिए प्रथाओं की तुलना न करें,” न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि पगड़ी पर वैधानिक आवश्यकताएं हैं और ये सभी प्रथाएं देश की संस्कृति में अच्छी तरह से स्थापित हैं। जस्टिस गुप्ता ने कहा कि हम फ्रांस या ऑस्ट्रिया के मुताबिक नहीं बनना चाहते। अदालत ने कहा, “हम भारतीय हैं और भारत में रहना चाहते हैं।”