Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक रेप का मामला रद्द कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि ‘सहमति से बनाए गए रिश्ते में खटास आना या दोनों के बीच दूरी आना आपराधिक कार्रवाई का आधार नहीं हो सकता।’ दरअसल, कोर्ट ने एक 25 साल के शख्स के खिलाफ बलात्कार का मामला रद्द कर दिया है। इस पर शादी का झूठा झांसा देकर बलात्कार करने का आरोप था। इस मामले की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने की। पढ़ें कोर्ट ने सुनवाई के दौरान और क्या कुछ कहा।
कोर्ट ने क्या सुनाया फैसला?
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने इस केस में कहा कि ‘इस तरह के आचरण केवल अदालतों पर ही बोझ नहीं डालते हैं, बल्कि इससे आरोपी व्यक्ति की पहचान भी धूमिल होती है।’ कोर्ट ने कहा कि ‘इस अदालत ने समय-समय पर प्रावधानों के दुरुपयोग के खिलाफ चेतावनी दी है। साथ ही शादी करने के लिए किए गए हर वादे को पूरा न करने पर किसी व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत अपराध के लिए मुकदमा चलाने को मूर्खता बताया है।’
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कोर्ट ने कहा कि ‘रिकॉर्ड से ऐसा नहीं लगता कि शिकायतकर्ता की सहमति उसकी इच्छा के खिलाफ और सिर्फ शादी करने के आश्वासन पर ली गई थी।’ कोर्ट ने पाया कि पुरुष और महिला 8 जून 2022 से एक-दूसरे को जानते थे। उन्होंने खुद माना था कि वे अक्सर बातचीत करते थे और प्यार में पड़ गए।
‘आपराधिक कार्रवाई का आधार नहीं’
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में आगे कहा कि ‘सहमति से बने रिश्ते में खटास आना या पार्टनर का दूर होना आपराधिक कार्रवाई का आधार नहीं हो सकता।’ कोर्ट ने माना कि इस तरह के आचरण अदालतों पर बोझ डालते हैं। इससे उस शख्स की पहचान भी धूमिल होती है।’ इसके साथ ही कोर्ट ने शादी का झूठा वादा करके महिला से रेप करने के मामले को खारिज करने का फैसला सुनाया। दरअसल, यह केस महाराष्ट्र में 2023 में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज किया गया था, जिस पर अपनी साथी को शादी का झूठा वादा करके रेप करने का आरोप था।
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