Supreme Court Hearing on Menstrual Leave: पीरियड्स के दौरान अवकाश देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी आदेश देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव के पास जाने को कहा। कोर्ट ने कहा कि मंत्रालय के सचिव इस मामले पर नीति बनाने पर विचार करें, लेकिन सचिव इस पर नीति बनाने से पहले केंद्र और राज्य सरकारों से सलाह मशविरा जरूर करें।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि छुट्टी देने के 2 पहलू हैं। एक पहलू यह है कि महिलाओं की नौकरी करने में भागीदारी बढ़ेगी। वर्कफोर्स में उनकी हिस्सेदारी बढ़ेगी। ऐसा भी हो सकता है कि इन छुट्टियों की वजह से लोग महिलाओं को नौकरी देने में आनाकानी करें। ऐसे में सभी सरकारों को इस दोनों पहलुओं पर बातचीत करके पॉलिसी बनाने की ओर बढ़ना चाहिए।
Supreme Court disposes of a PIL seeking menstrual leave for woman employees and asks the Centre to hold talks with all stakeholders and State governments to decide if a model policy can be framed in this regard.
---विज्ञापन---Supreme Court observes that menstrual leaves may encourage women… pic.twitter.com/TN97HPhs6f
— ANI (@ANI) July 8, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने जताई भेदभाव होने की आशंका
सुप्रीम कोर्ट ने आज महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म अवकाश की मांग करने वाली जनहित याचिका का निपटारा कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह सभी हितधारकों और राज्य सरकारों के साथ बातचीत करके यह तय करे कि क्या इस संबंध में मॉडल पॉलिसी बनाई जा सकती है? मासिक धर्म की छुट्टियां महिलाओं को कार्यबल में बड़ी भागीदारी के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं।
लेकिन ऐसी छुट्टियां अनिवार्य करने से महिलाओं को कार्यबल से दूर किया जा सकता है। हम ऐसा नहीं चाहते कि भेदभाव हो। महिलाओं की सुरक्षा के लिए जो करने की कोशिश करते हैं, वह उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में छुट्टी देने का मामला नीतिगत निर्णय है, जिसमें केंद्र और राज्य शामिल हो सकते हैं। इसलिए याचिकाकर्ता महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के समक्ष अपनी बात रखे।
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याचिका में यह मांग की गई?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि स्कूल-कॉलेज स्टूडेंट्स और वर्किंग वूमेन को मासिक धर्म के दिनों में छुट्टी मिलनी चाहिए। महिलाओं को मासिक धर्म के दिनों में छुट्टी देने के लिए नियम बनाए जाने चाहिए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को राज्य सरकारों को निर्देश देना चाहिए। मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 की धारा 14 को सही तरीके से देश में लागू करना सुनिश्चित कराया जाए।
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