प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली: यूक्रेन युद्ध की वजह से इंडिया वापस आए छात्रों को भारत में पढ़ाई पूरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पॉलिसी से जुड़े मामले में अपना पक्ष रखने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। केंद्र सरकार ने बताया कि जुलाई 2022 के बाद ऐसे छात्रों को असाधारण छूट नहीं दी जा सकती।
मेडिकल करियर को बचाएं
याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील मेनिका गुरुस्वामी ने कहा कि यहां इतने जिला अस्पताल उपलब्ध हैं, क्या हम छात्रों के मेडिकल करियर को बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकते। यह एक ऐसा देश है जहां डॉक्टरों की कमी है, मानवीय आधार पर हमको इनकी मदद करनी चाहिए। ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि हम इन छात्रों की भारत में शिक्षा प्रणाली में दखल दिए बिना मदद करना चाहते हैं। वकील ने कहा कि यह छात्र भारत में मेडिकल परीक्षा पास नहीं कर पाए थे जिसके कारण यह विदेश में पढ़ाई करने गए थे। इन छात्रों को भारतीय मरीजों के इलाज की इजाजत कैसे दी जा सकती है, यह सभी छात्र मिड सैम के हैं।
चीन के छात्रों के लिए भी मांग
चीन से वापस भारत भेजे गए मेडिकल छात्रों को भारत में पढ़ाई करने की इजाजत देने की भी मांग की गई है। चीन से वापस आए छात्रों के वकील ने कहा चीन ने वहां कोरोना के मामलों के बढ़ने के कारण मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को 7 वें सेमेस्टर के बीच में वापस भारत भेज दिया था, अब यह तीन सेमेस्टर की पढ़ाई फिजिकल मोड में नहीं कर पाएंगे। चीन से वापस आए छात्रों के वकील ने कहा- कई राज्यों ने चीन से वापस आए छात्रों को अपने यहां रजिस्ट्रेशन की इजाजत दी है, लेकिन केरल और तमिलनाडु ने इसकी इजाजत नहीं दी है क्योंकि उनके यहां क्लीनिकल ट्रेनिंग फिजिकल नहीं होती। मद्रास हाईकोर्ट ने इनके रजिस्ट्रेशन की इजाज़त दी थी।