IFS Officer Emotional Relation With Tigress: दिल का रिश्ता बड़ा ही प्यारा होता है और खुशकिस्मत होते हैं वो लोग, जिन्हें दिल के रिश्ते मिलते हैं, लेकिन इंसान के स्वभाव और व्यवहार की खासियत यह है कि उसका सिर्फ इंसान से ही नहीं, बल्कि जानवरों से भी दिल का रिश्ता बन जाता है। घर-परिवार में, समाज में दिल के रिश्तों की कई कहानियां देखी और सुनी होंगी। जानवरों और इंसान के बीच प्यार अपार स्नेह और लगाव की कहानियां देखी होंगी।
दिवंगत एक्टर इरफान खान (Irfan Khan) की मूवी Life of Pi और उसमें समुद्र के बीच बाघ के साथ कुछ दिन बिताने वाली कहानी देखी होगी। ऐसी ही एक कहानी, लेकिन इससे कहीं ज्यादा दिलचस्प कहानी, आज हम आपको सुनाते हैं। यह कहानी एक ऐसे अनोखे रिश्ते की, दिल के रिश्ते की इमोशनल कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो सुनकर आपकी आंखें नम हो जाएंगी और आपका दिल कहेगा, रिश्ता हो तो ऐसा, वरना रिश्ता न ही हो…
---विज्ञापन---View this post on Instagram
पूर्व IFS अधिकारी और उनकी बेटी बाघिन ‘खैरी’
वन्यजीव इतिहासकार रजा काजमी ने द बेटर इंडिया को देश के मशहूर IFS अधिकारी रहे सरोज राज चौधरी की कहानी सुनाई। ओडिशा के मयूरभंज जिले में सरोज राज चौधरी ने सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व की स्थापना भारत सरकार के सहयोग से कराई थी। वे खुद इसके फील्ड डायरेक्टर थे। 5 अक्टूबर 1974 की बात है, जब बाघ के मादा बच्चे को उनके पास लाया गया। वह खैरी नदी के पूर्वी घाट के पास खारिया आदिवासी समुदाय के सदस्यों को लावारिस हालत में मिला था।
इस दिन से सरोज और बाघ के मादा बच्चे के बीच 7 साल लंबे दिल के रिश्ते की कहानी शुरू हुई थी। क्योंकि शावक खैरी नदी के किनारे मिला था, इसलिए सरोज ने उसका नाम खैरी रख दिया। समय के साथ-साथ सरोज को खैरी से लगाव हो गया और वे उसके पालक माता-पिता बन गए। सरोज राज चौधरी उसे अपने हाथों से खाना खिलाते थे। उसके साथ खेलते थे और यहां तक कि उसके शक्तिशाली पंजे को अपनी छाती पर रखकर सोते भी थे।
The touching story of Khairi is immortalised in ‘Khairi The Beloved Tigress’ where aspects of tiger behavior, like territorial markings by spraying uric lipid pheromones as a sign of territory deduced. Khairi still roars in Simlipal jungles as the legends never die…🐅 (4) pic.twitter.com/fVYgdFhCrZ
— Sandeep Tripathi, IFS (@sandeepifs) July 12, 2020
खैरी के साथ रहकर सरोज ने बाघों पर स्टडी की
रजा काजमी ने बताया कि सरोज खैरी को अपने जशीपुर स्थित सरकारी बंगले में ले गए थे। उनकी चचेरी बहन निहार नलिनी को भी खैरी इतनी पसंद आई कि उन्हें उससे लगाव हो गया। खैरी सरोज के परिवार का हिस्सा बन गई थी। वहां उसे मटन और दूध पाउडर खिलाया जाता था। सरोज और खैरी के रिश्ते की कहानी धीरे-धीरे पूरे वन विभाग और पूरे ओडिशा में फैल गई थी। खैरी हर समय सरोज के साथ रहने लगी थी। वह खैरी के साथ जंगलों में कई दिन बिताते और उसे करीब से देखते।
खैरी के साथ रहते हुए सरोज ने बाघों के व्यवहार, उनकी सोच, फेरोमोन के इस्तेमाल, उनके संभोग व्यवहार, पसंद-नापसंद आदि का अध्ययन किया। इस आधार पर सरोज ने न केवल भारत को बाघों की गिनती करना सिखाया, बल्कि उनसे प्यार भी करना सिखाया। उनका गहराई से अध्ययन भी किया। खैरी के साथ सरोज के अनोखे बंधन से ज़्यादा बाघों के प्रति उनके प्यार को कोई और नहीं दर्शा सकता।
If you are visiting #Similipal, don’t miss to visit this place to know more about the amazing story of ‘Khairi’ the beloved tigress and her human family!
📍Jashipur, Mayurbhanj #Odisha pic.twitter.com/NyJTnGbtQ9
— Manas Muduli🇮🇳 (@manas_muduli) October 16, 2023
खैरी को पागल कुत्ते ने काटा, रेबीज से जान गई
रजा बताते हैं कि खैरी के अलावा सरोज चौधरी ने अपने जशीपुर बंगले में कई जानवरों को भी पाला था, जिनमें नेवले, लकड़बग्घे, कुत्ते और मगरमच्छ शामिल थे। खैरी दूसरे जानवरों के साथ रहती थी। निहार नलिनी के साथ एक बिस्तर पर सोती थी। नलिनी भी अक्सर खैरी की देखभाल करती थी और सरोज चौधरी का बाघिन के साथ रिश्ता उनके काम की वजह से संभव हुआ। हालांकि, पूरे अनुभव का एक नुकसान यह था कि खैरी एक पालतू जानवर बन गई।
कई बार उन्होंने उसे जंगल में छोड़ने की कोशिश की, लेकिन वह वापस आ जाती थी। वह कभी गर्भधारण भी नहीं कर पाई, लेकिन 1981 में जब खैरी की मृत्यु हुई, तब उसकी उम्र मात्र 7 वर्ष थी। उसे रेबीज हो गया था, क्योंकि एक आवारा पागल कुत्ते ने उसे काट लिया था, जो सरोज के बंगले घुस आया था। वहीं कुत्ते की हालत को देखते हुए उसे इच्छामृत्यु के माध्यम से मृत्युदंड दिया गया था। जब यह घटना हुई, उस समय चौधरी एक सम्मेलन के लिए दिल्ली में थे।
The Legend of #Khairi, the tigress and IFS Dr. Saroj Raj Choudhury an imminent Forest officer, who started first tiger population estimation in India.#Tigers #Khairi #similipal #odisha 🐅 pic.twitter.com/zrcXlI934M
— Odisha Paryavaran Sanrakshan Abhiyan Trust (@OdishaSeaTurtle) July 12, 2020
खैरी की मौत से डिप्रेशन में गए सरोज चौधरी
सरोज जब तक वापस लौटे, तब तक एंटी-रेबीज वैक्सीन उपलब्ध कराने में बहुत देर हो चुकी थी और खैरी दम तोड़ चुकी थी। खैरी उनकी बेटी की तरह थी और सरोज का पूरा निजी जीवन खैरी के के इर्द-गिर्द ही घूमता था, इसलिए उसकी अचानक और क्रूर मौत ने उन पर उतना ही विनाशकारी प्रभाव डाला, जितना कि माता-पिता पर बच्चे को खोने के बाद पड़ता है।
इस हादसे के बाद सरोज तनाव में चले गए थे। वे कभी खैरी के जाने से उबर नहीं पाए। इस हादसे के एक साल बाद और अपनी रिटायरमेंट से कुछ महीने पहले सरोज चौधरी की मृत्यु 4 मई 1982 को उनके कार्यालय में दिल का दौरा पड़ने से हो गई थी। कुछ लोगों का कहना है कि वे खैरी के जाने से कभी उबर नहीं पाए। उन्हें 1983 में मरणोपरांत पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
On international Rangers day hail one of the best Forester that India has produced,Saroj Raj Choudhry for rearing a tigress in captivity & leading tiger conservation in India. Photos of Khairi ( from SM) a member of his family from 1974-81, had made headlines worldwide.🙏🏼 pic.twitter.com/KLMCm8rKNW
— Susanta Nanda (@susantananda3) July 31, 2019