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NISAR Mission: क्या है ‘निसार’ मिशन? ISRO-NASA का जॉइंट Space Mission कल होगा लॉन्च

Space Mission NISAR Explainer: इसरो और नासा का जॉइंट स्पेस मिशन 'निसार' कल लॉन्च होने जा रहा है। यह दुनिया का सबसे महंगा मिशन है, जिसे बनाने में 13000 करोड़ रुपये खर्च हुए। मिशन का मकसद धरती की मैपिंग करना है, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं...

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Khushbu Goyal Updated: Jul 29, 2025 14:51
NISAR Mission | ISRO NASA | Space Science
NISAR Mission

Space Mission NISAR Explainer: अमेरिका की स्पेस एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का जॉइंट मिशन ‘निसार’ कल 30 जुलाई को लॉन्च होगा। मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F16 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा। मिशन को पहले साल 2024 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन 12-मीटर एंटीना खराब होने से लॉन्चिंग टल गई थी।

 

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कितने साल काम करेगा मिशन?

बता दें कि सैटेलाइट को धरती से 747 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा (LEO) में स्थापित किया जाएगा। मिशन की उम्र 3 साल की होगी और सैटेलाइट का वजन 2392 से 2800 किलोग्राम है। सैटेलाइन को बनाने में 1.5 बिलियन डॉलर (लगभग 13000 करोड़ रुपये) खर्च हुए हैं, जो इसे दुनिया का सबसे महंगा अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट बनाता है। सैटेलाइन को बनाने में इसरो ने 788 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिसमें सैटेलाइट बस, एस-बैंड रडार, लॉन्च व्हीकल और सेवाएं शामिल हैं। नासा ने सैटेलाइट में एल-बैंड रडार, GPS रिसीवर, हाई-रेट कम्युनिकेशन सिस्टम और सॉलिड-स्टेट रिकॉर्डर लगाए हैं।

 

क्या है मिशन का मकसद?

बता दें कि ‘निसार’ मिशन दुनिया का पहला डबल फ्रीक्वेंसी (एल-बैंड और एस-बैंड) रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जो धरती की ऑब्जर्वेशन करेगा। धरती की सतह और इसमें आने वाले पर्यावरणीय बदलावों की हाई रिजॉल्यूशन (5-10 मीटर) निगरानी करेगा। मिशन का मकसद पृथ्वी की सतह की मैपिंग करना है। हर 12 दिन में पृथ्वी की सतह और बर्फ से ढके इलाकों का विस्तृत नक्शा तैयार करना है।

प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी करके भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी विनाशकारी आपदाओं का पता लगाना और जोखिम का अंदाजा लगाना है। पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन करते हुए वनस्पति बायोमास, समुद्र में पानी के स्तर में वृद्धि, ग्लेशियर पिघलने और कार्बन चक्र पर नजर रखना है। कृषि और संसाधन प्रबंधन का अध्ययन करते हुए मिट्टी में नमी, फसल वृद्धि, और भूजल की जानकारी देना है। इन्फ्रास्ट्रक्चर की मॉनिटरिंग करके तेल रिसाव, शहरीकरण और वनों की कटाई की निगरानी करना है।

 

क्या हैं सैटेलाइट की विशेषताएं?

बता दें कि सैटेलाइट में डबल रडार सिस्टम है। नासा का एल-बैंड रडार धरती की गहराई वाली सतह (जंगल, बर्फ, मिट्टी) और इसरो का एस-बैंड रडार धरती की सतही संरचनाओं (फसल, मिट्टी की दरारें) का अध्ययन करेगा। 12 मीटर का एंटीना हाई रिजॉल्यूशन इमेजिंग के लिए है, जो 240 किलोमीटर दूर तक की तस्वीरें क्लिक कर सकता है। सैटेलाइट का डाटा नॉर्मली 2 दिन में पब्लिक होगा, लेकिन आपातकाल में कुछ घंटों में उपलब्ध होगा। इसके अलावा सैटेलाइट हर 6 दिन नए सैंपल लेकर अपडेट जानकारियां भी देगा।

 

क्या है ‘निसार’ मिशन का महत्व‌?

बता दें कि इसरो और नासा का ‘निसार’ मिशन आपदा प्रबंधन में क्रांति लाएगा। जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने में सक्षम होगा और वैश्विक वैज्ञानिक अनुसंधान में योगदान देगा। भारत और अमेरिका के जॉइंट स्पेस मिशन सेक्टर की ग्रोथ में मील का पत्थर साबित होगा। मिशन के तहत जुटाया जाने वाला डेटा दुनियाभर के शोधकर्ताओं को मुफ्त में उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे भारत की वैज्ञानिक साख बढ़ेगी। मिशन के तहत लॉन्च होने वाला सैटेलाइट खासतौर पर धरती के सबसे खतरनाक इलाकों को स्कैन करेगा और विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पहले से तैयारी करने में मदद करने के लिए आवश्यक डेटा भी प्रदान करेगा।

First published on: Jul 29, 2025 02:27 PM

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