Sonia Gandhi Rajya Sabha Election Operation Lotus (के जे श्रीवत्सन, जयपुर): कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुन ली गई हैं, लेकिन राजस्थान से ही राज्यसभा चुनाव लड़ने के कारणों को लेकर तमाम तरह की बातें भी सामने आने लगी हैं। दरअसल, यूपीए की चेयरपर्सन बनने के बाद सोनिया गांधी लगातार 5 बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन इस बार उन्होंने अपनी खराब सेहत और बढ़ती उम्र के चलते राज्यसभा का चुनाव लड़ने का फैसला किया।
हिमाचल और तेलंगाना से भी था चुनाव लड़ने का ऑफर
इसके साथ ही सवाल यह भी सामने आने लगा कि वे कहां से चुनाव लड़ेंगी। हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना कांग्रेस की तरफ से उन्हें अपने यहां से चुनाव लड़ाने का पार्टी हाईकमान को पत्र भी भेजा गया। सुगबुगाहट राजस्थान से चुनाव लड़ने की भी आने लगी। खास बात यह है कि प्रदेश कांग्रेस की तरफ से कोई भी इसकी पुष्टि करने के लिए तैयार नहीं था। उनके नामांकन पर्चे जमा कराने के 1 घंटे पहले तक कोई भी इसे लेकर आश्वस्त ही नहीं था।
अशोक गहलोत ने साफ की स्थिति
उम्मीदवारों की सूची में उनका कहीं नाम नहीं था। जब सोनिया गांधी सुबह 9.15 बजे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ जयपुर पहुंचीं, तब तक पीसीसी अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा तक हवाई अड्डे पर यह कन्फर्म नहीं कर पा रहे थे कि सोनिया गांधी अपना नामांकन पर्चा राजस्थान से भरने वाली हैं। ऐसे में पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर इस बात का राज खोला कि सोनिया गांधी राजस्थान से ही चुनाव लड़ने आई हैं। जयपुर पहुंचने के करीब आधे घंटे बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से उनके राजस्थान से राज्यसभा का चुनाव लड़ने की अधिकृत सूचना जारी की गई।
We heartily welcome the announcement of respected Smt. Sonia Gandhi ji as the Rajya Sabha candidate from the Congress Party, who renounced the post of Prime Minister.
---विज्ञापन---Mrs. Sonia Gandhi heartily connected with Rajasthan. When Shri Rajiv Gandhi became the Prime Minister, Sonia ji…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) February 14, 2024
पहले ही लग चुकी थी क्रॉस वोटिंग की भनक
ऐसे में सवाल उठने लगा कि आखिरकार आखिरी वक्त तक सोनिया गांधी को राजस्थान से चुनाव लड़ाने को लेकर इतनी गोपनीयता क्यों बनाए रखी। जानकार सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के जादूगर कहे जाने वाले पूर्व सीएम अशोक गहलोत को पहले ही भनक लग चुकी थी कि राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस के कई विधायक क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं। इसकी जानकारी उन्होंने पार्टी हाईकमान और सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी को भी दे दी थी। हालांकि क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों की संख्या बहुत अधिक नहीं थी, लेकिन यदि ऐसा होता तो कांग्रेस की एकजुटता को लेकर आने वाले लोकसभा चुनावों में गलत सन्देश कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच जा सकता था। संदेश जाता कि सत्ता से दूर होने के बाद पार्टी में सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है।
कामयाब नहीं हो सका ऑपरेशन लोटस
बस इसी वजह से सभी विधायकों को एकजुट रखने के लिए सोनिया गांधी का नामांकन पर्चा राजस्थान से भरवा लिया गया। वागड़ के आदिवासी इलाके के विधायकों को अपने निवास पर बुलाकर अशोक गहलोत ने बीजेपी को भी चुनाव के एक दिन पहले ही बड़ा संकेत दे दिया कि राज्यसभा चुनावों के दौरान “ऑपरेशन लोटस” कामयाब नहीं रहेगा।
Sonia Gandhi in Rajasthan…. Former Chief Minister Ashok Gehlot is here to welcome her… pic.twitter.com/AqzAElCJQj
— Aaron Mathew (@AaronMathewINC) February 14, 2024
भाजपा को बदलनी पड़ी स्ट्रेटेजी
इसके बाद ऑपरेशन लोटस में जुटी बीजेपी को भी अपनी रणनीति बदलनी पड़ी। कम से कम वह यहां तो कांग्रेस को मात नहीं दे पाई। राज्यसभा के लिए बीजेपी के मदन राठौड़ और चुन्नीलाल गरासिया के साथ कांग्रेस से सोनिया गांधी को निर्विरोध चुन लिया गया। बीजेपी इन चुनावों में संख्या बल नहीं होने के बावजूद अपने तीसरे उम्मीदवार को मैदान में उतारने की तैयारी में थी या फिर कांग्रेस विधायकों के खेमे में सेंध लगाकार क्रॉस वोटिंग करवाने का “प्लान” तैयार कर लोकसभा चुनावों से पहले उसे भुनाने में जुटी थी।
प्लान बी में कामयाब हो गई बीजेपी
हालांकि सोनिया गांधी के चुने जाने के बाद भी बीजेपी ने सीडब्ल्यूसी सदस्य और बागीदौरा के विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालवीय को बीजेपी में शामिल करवाकर अपने प्लान “बी” को अमलीजामा पहना दिया। कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी की बजाय कांग्रेस यहां से किसी भी दूसरे नेता को अपना प्रत्याशी घोषित करती तो निश्चित तौर पर राज्यसभा के चुनाव में महेंद्रजीत सिंह मालवीय और कुछ और विधायक क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस की किरकिरी कर सकते थे।
खैर बीजेपी ने कांग्रेस के विधायक को अपने पाले में शामिल कर लिया, लेकिन कहा जा रहा था कि मालवीय के साथ कुछ और विधायक और बड़े नेता बीजेपी के पक्ष में वोट डाल और कांग्रेस छोड़कर खेल बिगाड़ सकते थे, लेकिन अशोक गहलोत की रणनीति के चलते बीजेपी इसमें कामयाब नहीं हो पाई। उसे कांग्रेस के कुछ और नेताओं को होल्ड पर रखकर केवल महेन्द्रजीत सिंह मालवीय को ही अपने पाले में शामिल करना पड़ा।
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