Sugar Cosmetics CEO on Kolkata Case: सुगर कॉस्मेटिक्स की सीईओ और सहसंस्थापक विनीता सिंह ने अपने बेटे के स्कूल बस से जुड़े नियमों की कड़ी आलोचना की है। दरअसल स्टार सीआईओ के बेटे के स्कूल ने यह नियम लागू किया है कि स्कूल बस की शुरुआती सीटों पर लड़कियां नहीं बैठेंगी। स्कूल की कोशिश है कि इससे लड़कियां ड्राइवर्स के संपर्क में नहीं रहेंगी और कम से कम कॉन्टैक्ट रहेगा। 41 वर्षीय बिजनेस वुमन ने इस नियम को सुविधाजनक करार दिया है, जो लड़कियों पर ज्यादा से ज्यादा प्रतिबंध लगाता है।
विनीता सिंह ने स्कूल के नए नियमों की तुलना बंगाल सरकार के उस आदेश से की है, जिसमें नाइट ड्यूटी से महिला डॉक्टरों को दूर रखने की बात की गई है। कोलकाता में 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के रेप और मर्डर की घटना के बाद बंगाल सरकार ने यह फैसला किया है। रात की ड्यूटी में महिला डॉक्टर लंबी शिफ्ट के बाद सेमिनार हॉल में आराम करने के लिए गई थीं, जहां उनकी रेप के बाद हत्या कर दी गई।
बंगाल सरकार की गाइडलाइन
अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में विनीता सिंह ने लिखा कि ‘मेरे बेटे के स्कूल में एक नया नियम लागू किया गया है, जहां लड़कियों को स्कूल बस की शुरुआती सीटों पर बैठने से बैन कर दिया गया है। ताकि लड़कियों का बस ड्राइवर्स के साथ कम से कम संपर्क हो। यह मुझे बंगाल सरकार की नई गाइडलाइन की याद दिलाता है कि जहां तक संभव हो महिला डॉक्टर को नाइट ड्यूटी नहीं देनी है।’
विनीता सिंह ने कहा कि यह एक सुविधाजनक फैसला है, और जल्द ही पूरे देश के स्कूल इसे लागू कर देंगे। शार्क टैंक इंडिया की पूर्व जज ने लिखा, ‘अगले महीने से देश के सभी स्कूल वहीं करेंगे जो सबसे आसान है। लड़कियों पर हजारों प्रतिबंध लगा दो क्योंकि लड़के तो लड़के हैं।’
‘महिलाएं नहीं चाहती ऐसा बदलाव’
विनीता सिंह ने कहा, ‘नए नियम महिलाओं की आजादी को और खत्म करेंगे। आखिरकार हम महिलाओं के लिए एक ऐसा पिजड़ा बना सकते हैं, जैसा शार्क पर रिसर्च के लिए इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि मेन विल बी मेन! (मर्द तो मर्द हैं!) महिलाएं इस तरह का बदलाव नहीं चाहती हैं।’
विनीता सिंह ने सवाल उठाते हुए लिखा कि ‘छोटी बच्चियों के परिजन ऐसे ही डर में जीते हैं और प्रोटेक्टिव होते हैं। सांस्थानिक तौर पर प्रतिबंध लगाकर क्या हम इसे और नहीं बढ़ा रहे हैं। हर अतिरिक्त प्रतिबंध युवा लड़कियों के लिए एक मैसेज है कि अपनी सुरक्षा के लिए वे समानता की चाह भी नहीं कर सकती। समानता और अवसरों का लाभ उन्हें सिर्फ छूट के तौर पर दी जाएगी।’
उन्होंने कहा कि दो लड़कों के पैरेंट्स के नाते मैं चाहती हूं कि जिम्मेदारी का बोझ हम पर होना चाहिए। समय आ गया है कि हम अपने बेटों को एक ऐसी परवरिश दें कि वे समानता, सम्मान और सहमति को समझ सकें। अगर किसी तरह का कहीं बैन होना चाहिए तो वह लड़कों पर होना चाहिए, ताकि वह किसी भी तरह से लक्ष्मण रेखा को पार न करें, जिससे कि बुरा व्यवहार उनकी आदत बन जाए। पिजड़े शिकारियों के लिए होते हैं शिकार के लिए नहीं!