सैम पित्रोदा, यह नाम आए दिन कांग्रेस के लिए नई परेशानियां खड़ा है। सैम पित्रोदा वैसे तो बिजनेसमैन हैं, लेकिन वह राहुल गांधी के बेहद करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। हाल ही में सैम ने बयान दिया था कि मैं पाकिस्तान गया। मुझे वहां घर जैसा महसूस हुआ। इसके बाद से राजनीति दलों को कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया। यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस को सैम पित्रोदा की वजह से राजनीतिक दुर्भावना का शिकार होना पड़ा। राम मंदिर, पाकिस्तान, सिख दंगे, चीन इत्यादि शायद ही कोई ऐसा मौका हो जब सैम पित्रोदा ने विवादित बयान न दिया हो। आइए सैम पित्रोदा के उन 5 बयानों को जानते हैं, जो कांग्रेस के लिए मुसीबत साबित हुए।
सिख दंगा- ‘हुआ तो हुआ’
साल 2019 में सैम ने 1984 में हुए सिख दंगों पर बयान दिया था। सैम ने सरकार पर निशाना साधने के लिए कहा था कि अब क्या है 84 का? आपने 5 साल में क्या किया, उसकी बात करो। ’84 में हुआ तो हुआ। आपने क्या किया? आपको नौकरियां पैदा करने के लिए वोट दिया गया था। कहा कि आपको 200 स्मार्ट सिटी बनाने के लिए वोट दिया गया था। आपने वो भी नहीं किया। सरकार पर इशारा करते हुए कहा कि आपने कुछ नहीं किया इसलिए आप यहां वहां गप लगते हैं।
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भारत की विविधता पर टिप्पणी
सैम पित्रोदा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत के लोग 75 साल एक बेहद खुशहाल माहौल में रहे हैं जहां लोग कुछ झगड़ों को छोड़कर एक साथ रह सकते थे। भारत के लोकतंत्र पर सैम ने कहा था कि हम भारत जैसे विविधतापूर्ण देश को एक साथ रख सकते हैं, जहां पूर्व के लोग चीनी जैसे दिखते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग शायद गोरे जैसे दिखते हैं और दक्षिण के लोग अफ्रीकी जैसे दिखते हैं। कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हम सब भाई-बहन हैं। इस बयान से काफी हंगामा हुआ था।
विरासत टैक्स पर अमेरिका का उदाहरण
साल 2019 में लोकसभा चुनाव का दौर था। पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि पहले जब इनकी सरकार थी तब उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है। इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठा करते किसको बांटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चे हैं, उनको बांटेंगे, घुसपैठियों को बांटेंगे। इस पर अमेरिका में बैठे सैम ने अमेरिका के विरासत टैक्स का उदाहरण दिया था। कहा था कि अमेरिका में इनहेरिटेंस टैक्स है, यदि किसी व्यक्ति के पास 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति है, तो उसकी मृत्यु के बाद 45 प्रतिशत संपत्ति उसके बच्चों को और 55 प्रतिशत संपत्ति सरकार को मिलेगी। भारत में ऐसे मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। कहा कि हम ऐसी नीतियों की बात कर रहे हैं जो केवल अमीरों के हित में नहीं, बल्कि आम लोगों के हित में हों।
राम मंदिर पर- ‘असली मुद्दा राम मंदिर या महंगाई’
साल 2023 में सैम पित्रोदा ने राम मंदिर पर बयान दिया था। बीजेपी की आलोचना करते हुए सैम ने असली मुद्दा राम मंदिर है या महंगाई। कहा था कि मुझे किसी भी धर्म से कोई समस्या नहीं है। कभी-कभार मंदिर जाना ठीक, लेकिन आप इसे मुख्य मंच नहीं बना सकते। कहा था कि 40 प्रतिशत लोग बीजेपी को वोट देते हैं, और 60 प्रतिशत लोग बीजेपी को वोट नहीं देते हैं। मोदी सभी के प्रधानमंत्री हैं। किसी पार्टी के प्रधानमंत्री नहीं हैं। यही वह संदेश है जो भारत के लोग चाहते हैं। रोजगार के बारे में बात करें, मुद्रास्फीति के बारे में बात करें, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और चुनौतियों के बारे में बात करें। लोगों को यह तय करना होगा कि असली मुद्दे क्या हैं- क्या राम मंदिर असली मुद्दा है? या बेरोजगारी एक वास्तविक मुद्दा है। क्या राम मंदिर असली मुद्दा है या मुद्रास्फीति एक वास्तविक मुद्दा है?
पुलवामा हमला- ‘हमले तो होते रहते हैं’
साल 2019 में पुलवामा में जवानों पर आतंकी हमला हुआ था। करीब 43 जवान शहीद हो गए थे। इससे एक तरफ पूरे देश में शोक की लहर फैल गई थी। वहीं दूसरी तरफ सैम का विवादित बयान दिया था। पुलवामा हमले का जिक्र करते हुए पित्रोदा ने कहा था कि मुझे हमलों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन ये तो होते ही रहते हैं। कहा कि मुंबई में भी एक हमला हुआ था। हम तुरंत प्रतिक्रिया दे सकते थे। पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई पर बात करते हुए सैम ने कहा था कि मेरे हिसाब से दुनिया के साथ इस तरह पेश नहीं आना चाहिए। आठ लोग (26/11 के आतंकवादी) आते हैं और कुछ करते हैं, आप पूरे देश (पाकिस्तान) पर हमला नहीं कर सकते।
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