Sabse Bada Sawal, 18 April 2023: नमस्कार, मैं हूं संदीप चौधरी। आज मैं सबसे बड़ा सवाल में मैं बात करने वाला हूं राज की और राज़ की बात करने वाला हूं। जी हां कानून का राज और हत्याकांड का राज़। इसका पर्दाफाश होगा कि नहीं? मैं उत्तर प्रदेश की बात कर रहा हूं, जहां राजनीति गरमाई हुई है। जब से दुर्दांत माफिया अतीक अहमद और अशरफ की लाइव हत्या कर दी गई।
उसके तीसरे दिन आज सीएम योगी आदित्यनाथ ने पहला सार्वजनिक बयान दिया। ताल ठोंकी कि यूपी में अब कानून का राज है। हमने दंगों का कलंक मिटा दिया। अब माफिया किसी को डरा धमका नहीं सकते हैं। 2017 से पहले यूपी को दंगा प्रदेश के तौर पर जाना जाता था। हमने थोड़ा आंकड़ों की तस्दीक की। 2007 से 2011 तक दंगों की 616 की घटनाएं हुईं और 121 लोगों की मौत हुई। 2012 से 2016 तक 815 दंगे हुए और 152 लोगों की मौत हुई। यहां तक योगी का आंकड़ा बिलकुल सही है।
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लेकिन जब अपराध की और कानून के राज स्थापित होने की ताल ठोंकी जाती है तो सिर्फ दंगों की बात या अपराध, बंदूक का खौफ क्या उसे भी और उसका भी आंकलन करना चाहिए क्या। तीन दिन पहले जो हुआ, जिस तरह से हत्याकांड को अंजाम दिया गया, बहुत से लोगों ने तालियां भी बजाई। मैंने भी कहा था कि जो हुआ अच्छा हुआ। लेकिन क्या ये रूल ऑफ लॉ है? अब जो इस घटना को अंजाम दिया गया, उसमें कुछ सवाल उठ रहे हैं।
जब जांच होगी तो इन सवालों को खंगाला जाएगा। हमीरपुर, बांदा और कासगंज से नशेड़ी, छोटे-मोटे अपराधी इन्हें कैसे जानकारी मिल गई कि पुलिस कॉल्विन अस्पताल लेकर अतीक और अशरफ को लेकर जाने वाली है? फिर ये लैस से मेड इन टर्की पिस्टल से। इनकी कीमत 7-8 लाख रुपए। इन्हें मुहैया किसने कराई? कनपटी पर बंदूक तानकर फायरिंग की गई। पुलिस में अफरा तफरी मच गई। जवाबी फायर की तो दूर की बात पुलिस ईधर-उधर भागने लगी। अपराधी वहीं खड़े रहे। भागे भी नहीं। अतीक और अशरफ को एक हथकड़ी में बांधकर लाया गया। पुलिसवालों के पास बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं थी।
तो आज का सबसे बड़ा सवाल है कि कानून का राज है…हत्या का क्या है राज़? माफिया की लिस्ट जारी…कार्रवाई कब? देखिए बड़ी बहस…