Sabse Bada Sawal, 17 May 2023: नमस्कार, मैं हूं संदीप चौधरी। आज सबसे बड़ा सवाल में मैं बात करने वाला हूं राजनीति के ऊंट की। इस ऊंट ने बड़ी करवट ली है। 13 मई को कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बन गई। जीत भी ऐसी प्रचंड, जबरदस्त की बीजेपी कांग्रेसी की आधी सीट पर सिमट गई। विपक्षी एकता ने भी करवट ली है। नीतीश कुमार विपक्षी एकता का झंडा उठाए चल रहे हैं। उन्होंने बीते साल सितंबर में कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात की थी। उन्होंने ताल ठोंक दी कि बीजेपी को दहाई का आंकड़ा भी नहीं छूने देंगे। लेकिन दलों के बीच बात नहीं बन रही थी। लेकिन कांग्रेस की जीत के बाद परिस्थितियां बदल गई।
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15 मई को बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि जहां 200 सीटों पर कांग्रेस मजबूत है तो वहां लड़िए। लेकिन बंगाल में लड़ेंगे तो नीति नहीं होगी। ममता बनर्जी के रुख में ये बड़ा परिवर्तन है। एक दिन बाद अखिलेश यादव ने ममता बनर्जी के सुर में सुर मिलाते दिखे। उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश में जो क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हैं, वे नेतृत्व करें। जहां कांग्रेस मजबूत है तो वहां हम उनकी अगुवाई में लड़ेंगे।
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ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि दरियादिली कौन दिखाइएगा। कौन कुर्बानी देगा। नीतीश कुमार का पक्ष ये है कि विपक्ष का एक साझा उम्मीदवार होना चाहिए। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी कहते हैं कि आज कर्नाटक में जीत हुई तो ममता बनर्जी को लगने लगा कि हमारी जरूरत पड़ेगी। ऐसे में बड़ा सवाल है कि राजनीतिक ऊंट ने जो करवट ली है, क्या वह शक्ल भी अख्तियार करेगा? देखिए बड़ी बहस…
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