Sabse Bada Sawal, 16 June 2023: नमस्कार, मैं हूं संदीप चौधरी। आज सबसे बड़ा सवाल में मैं बात करने वाला हूं नाम की। सदियों पहले विलियम शेक्सपियर का लिखा मशहूर नाटक रोमियो एंड जूलियट पढ़ा होगा। नाम में क्या रखा है। गुलाब को कुछ भी कहें खुशबू आना थोड़ी बंद हो जाएगी। ये तो बौद्धिक बात हो गई। लेकिन आज के युग में नाम में बहुत कुछ रखा है।
पिछले कुछ सालों से देश में नाम बदलने की प्रक्रिया तेज पकड़ती जा रही है। कस्बो, शहरों के नाम बदले जा रहे हैं। अब इमारत यानी म्यूजियम का नाम भी बदला जा रहा है। उस पर राजनीतिक बवाल भी मच रहा है। ताजा उदाहरण नेहरू म्यूजियम एंड लाइब्रेरी है, यानी तीन मूर्ति भवन। कमाल का म्यूजियम है। वो पूर्व पीएम नेहरू के नाम पर था। इसे 1929-30 में बनाया गया था। वहां कमांडर इन चीफ रहता था। 1948 में पंडित नेहरू यहां रहने लगे। 1964 तक वे यहीं पर रहे। इसी तीन मूर्ति भवन को नेहरू म्यूजियम बना दिया गया।
अब संस्कृति मंत्रालय ने एक अहम बैठक बुलाई। इसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। इसके बाद इसका नाम प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय कर दिया गया। विपक्ष इस पर हमलावर हो गया है। खासकर कांग्रेस ने। जयराम रमेश ने कहा कि नाम बदलना संकीर्णता और प्रतिशोध है। नाम बदलना एक शख्स का छोटापन है। नेहरू को नीचा दिखाने की कोशिश है। बीजेपी ने पलटवार भी किया। तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि नाम बदलने से विरासत बदल जाएगी? नाम की राजनीति या काम की? देखिए बड़ी बहस…