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Explained: क्या होते हैं जेल में अंतिम संस्कार के नियम? 12 साल बाद अफजल गुरु की फांसी पर चर्चा क्यों?

Rules for burying executed prisoners in Indian jails: जेल में अगर किसी की संदिग्ध हालत में मौत होती है तो शव का पोस्टमॉर्टम करवाना जरूरी होता है. इसके अलावा फांसी देने की स्थिति में जेल मेडिकल ऑफिसर मौत की पुष्टि, टाइम और अन्य डिटेल दर्ज करता है. वहीं, जेल में मौत के 24 घंटे के अंदर परिवार या रिश्तेदारों को शव सौंपना होता है.

Author Written By: Amit Kasana Author Published By : Amit Kasana Updated: Sep 26, 2025 14:51
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हाई कोर्ट में अफजल गुरू की कब्र के खिलाफ याचिका

Rules for burying executed prisoners in Indian jails: दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर कर तिहाड़ जेल परिसर से अफजल गुरु और मोहम्मद मकबूल भट्ट की कब्रें हटाने की मांग की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। पेश याचिका में यह तर्क दिया गया है था कि कब्रों का जेल में होना सही नहीं है और इन्हें किसी गुप्त स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाए. अफजल गुरु को 2013 में संसद पर हुए हमले का दोषी पाए जाने पर फांसी दी गई थी. इस याचिका से एक बार फिर ये बहस छिड़ गई है कि क्या किसी कैदी वह भी आतंकवादी की जेल में कब्र होनी चाहिए?

तिहाड़ जेल में अफजल गुरु की कब्र ने जेल सुधारों पर नई चर्चा को जन्म दे रहा है. पेश याचिका में ये तर्क दिया गया था कि जेल में किसी की भी कब्र वहां की सुरक्षा के लिए खतरा है. याचिका के अनुसार ये जेल के नियमों का भी उल्लंघन है. दिल्ली हाई कोर्ट के वकील सुभाष तंवर इस बारे में जानकारी देते हुए बताते हैं कि जेल नियमों में फांसी पाए कैदियों के शवों के निपटान के बारे में स्पष्ट कहा गया है.

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भारतीय जेलों में कैदियों की मौत और अंतिम संस्कार के क्या हैं नियम?

जानकारी के अनुसार भारत की जेलों में कैदियों की मौत चाहे वह प्राकृतिक कारणों से हुई हो या फिर कैदी को किसी अपराध में फांसी दी हो को लेकर मॉडल प्रिजन मैनुअल 2016 (गृह मंत्रालय) और दिल्ली प्रिजन रूल्स 2018 हैं. जिनके अनुसार किसी भी कैदी की मौत होते ही तुरंत इस बात की सूचना स्थानीय मजिस्ट्रेट को दी जाएगी. दरसअल, कानून की धारा 174 और 176 के मौत की जांच होती है. इसके अलावा 24 घंटे के अंदर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को भी इसकी रिपोर्ट भेजनी पड़ती है.

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धार्मिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाज के अनुसार किया जाता है जेल में अंतिम संस्कार

जेल में अगर किसी की संदिग्ध हालत में मौत होती है तो शव का पोस्टमॉर्टम करवाना जरूरी होता है. इसके अलावा फांसी देने की स्थिति में जेल मेडिकल ऑफिसर मौत की पुष्टि, टाइम और अन्य डिटेल दर्ज करता है. वहीं, जेल में मौत के 24 घंटे के अंदर परिवार या रिश्तेदारों को शव सौंपना होता है. अगर शव पर कोई दावा न करे तो जेल प्रशासन शव का निपटान मरने वाले के धार्मिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाज के अनुसार करता है.

ये भी पढ़ें: अहमदाबाद प्लेन क्रैश में सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में अहम जानकारियां छिपाने का आरोप

परिवार शव लेने नहीं आए तो ये लोग करते हैं अंतिम क्रिया

नियमों के अनुसार जेल में हिंदू कैदियों के मरने के बाद उनके शव का दाह संस्कार किया जाता है और राख को 24 घंटे बाद दफनाया जाता है या नदी में विसर्जित किया जाता है. जबकि फांसी पाए कैदियों के शव को अगर परिवार न लेकर जाए तो शव को कब्रिस्तान में दफनाया जाता है. याचिका में कहा गया था कि अफजल गुरु मामले में कब्र जेल में रखना इन नियमों के विपरीत हो सकता है क्योंकि यह ग्लोरिफिकेशन को बढ़ावा देता है. जबकि जेल प्रशासन का इस पर जवाब दिया था कि इस केस में मरने वाले की फैमिली की अनुपस्थिति में ये अस्थायी व्यवस्था की गई थी.

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First published on: Sep 22, 2025 12:45 PM

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