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‘पहलगाम में 26 लोगों को आतंकियों ने मारा, सेना ने करारा जवाब दिया’, RSS के शताब्दी समारोह में बोले मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह में सरसंघचालक मोहन भागवत ने आतंकवादी हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों का जिक्र करते हुए देश की एकता और सरकार की प्रतिक्रिया की सराहना की. उन्होंने वैश्विक टैरिफ नीतियों पर चिंता जताई और आत्मनिर्भर भारत की बात कही। भागवत ने प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती घटनाओं और हिमालय क्षेत्र की बिगड़ती स्थिति को लेकर भी चिंता व्यक्त की. उनका कहना था कि विकास के मौजूदा पैटर्न में बदलाव जरूरी है ताकि भविष्य की पर्यावरणीय आपदाओं से बचा जा सके.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Avinash Tiwari Updated: Oct 2, 2025 10:46
Mohan Bhagwat
RSS Chief Mohan Bhagwat

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह के दौरान सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि सीमा पार से आए आतंकवादियों ने 26 भारतीयों का धर्म पूछकर उनकी हत्या कर दी. इस आतंकी हमले को लेकर पूरा देश शोक और आक्रोश में था. पूरी तैयारी के साथ, हमारी सरकार और सशस्त्र बलों ने करारा जवाब दिया. सरकार का समर्पण, सशस्त्र बलों का पराक्रम और समाज में एकता ने देश में एक आदर्श वातावरण प्रस्तुत किया. इस घटना और हमारे ऑपरेशन के बाद विभिन्न देशों द्वारा निभाई गई भूमिका ने हमारे सच्चे मित्रों को उजागर किया. देश के भीतर भी, ऐसे असंवैधानिक तत्व हैं जो देश को अस्थिर करने का प्रयास करते हैं.

टैरिफ पर क्या बोले मोहन भागवत?

टैरिफ को लेकर मोहन भागवत ने कहा कि अमेरिका द्वारा लागू की गई नई टैरिफ नीति उनके अपने हितों को ध्यान में रखकर बनाई गई थी लेकिन इससे सभी प्रभावित होते हैं. दुनिया एक-दूसरे पर निर्भरता के साथ काम करती है, इसी तरह दो देशों के बीच संबंध बनाए रखे जाते हैं. कोई भी देश अलग-थलग नहीं रह सकता. यह निर्भरता मजबूरी में नहीं बदलनी चाहिए. हमें स्वदेशी पर भरोसा करने और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. फिर भी अपने सभी मित्र देशों के साथ राजनयिक संबंध बनाए रखने का प्रयास करें, जो हमारी इच्छा से और बिना किसी मजबूरी के होंगे.

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हिमालय की स्थिति बजा रही खतरे की घंटी-मोहन भागवत

सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं बढ़ी हैं. भूस्खलन और लगातार बारिश सामान्य हो गई है. यह पैटर्न पिछले 3-4 वर्षों से देखा जा रहा है. हिमालय हमारी सुरक्षा दीवार है और पूरे दक्षिण एशिया के लिए पानी का स्रोत है. यदि विकास के मौजूदा पैटर्न उन आपदाओं को बढ़ावा देते हैं जो हम देख रहे हैं तो हमें अपने फैसलों पर पुनर्विचार करना होगा. हिमालय की वर्तमान स्थिति खतरे की घंटी बजा रही है.

इस दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने यह भी कहा कि ये वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान का सढ़े तीन सौ वर्ष है जिन्होंने अत्याचार, अन्याय और सांप्रदायिक भेदभाव से समाज के मुक्ती के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और समाज की रक्षा की ऐसी एक विभूति उनका समरण इस वर्ष होगा. आज 2 अक्टूबर है तो स्वर्गीय महात्मा गांधी की जयंती है अपने स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका योगदान अविस्मरणीय है लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारत कैसा हो? उसके बारे में विचार देने वाले हमारे उस समय के दार्शनिक नेता थे. उनमें उनका स्थान अग्रणीय है. जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण दिए ऐसे स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री का आज जयंती है। भक्ति, देश सेवा के ये उत्तम उदाहरण है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह के दौरान सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि वैश्विक चिंताओं के समाधान के लिए दुनिया भारत की ओर देख रही है. ब्रह्मांड चाहता है कि भारत उदाहरण प्रस्तुत करे और दुनिया को राह दिखाए. उन्होंने कहा कि जब भी कुछ विदेशी विचारधाराएं भारत आईं, हमने उन्हें अपना माना. हम दुनिया की विविधता को स्वीकार करते हैं. हमारे देश में, इस विविधता को भिन्नता में बदलने का प्रयास किया जा रहा है. सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे शब्दों से किसी भी आस्था या विश्वास का अपमान या अवमानना ​​न हो. जब समाज में विभिन्न मान्यताओं वाले कई लोग एक साथ रहते हैं तो समय-समय पर कुछ शोर और अराजकता हो सकती है. इसके बावजूद, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नियम-कानून और सद्भाव का उल्लंघन न हो. कानून को अपने हाथ में लेना, सड़कों पर उतरना और हिंसा और गुंडागर्दी का सहारा लेना ठीक नहीं है. किसी विशेष समुदाय को भड़काने की कोशिश करना और शक्ति प्रदर्शन करना, ये सब पूर्व नियोजित षड्यंत्र हैं.

सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा हैं कि विविधता और हमारी संस्कृति का पूर्ण स्वीकार और सम्मान, जो हम सभी को एक सूत्र में बांधता है, राष्ट्रवाद है, जिसे हम हिंदू राष्ट्रवाद कहते हैं. यह हमारे लिए हिंदू राष्ट्रवाद है. हिंदवी, भारतीय और आर्य सभी हिंदू के पर्याय हैं. हमारे यहां कभी भी राष्ट्र-राज्य की अवधारणा नहीं रही. हमारी संस्कृति ही हमारे राष्ट्र का निर्माण करती है. राज्य आते-जाते रहते हैं, लेकिन राष्ट्र सदैव बना रहता है. यह हमारा प्राचीन हिंदू राष्ट्र है. हमने हर तरह के उत्थान और पतन देखे हैं, हमने गुलामी देखी है और हमने आजादी भी देखी है, लेकिन हम इन सबसे उबरकर आए हैं इसलिए एक मजबूत और एकजुट हिंदू समाज देश की सुरक्षा और अखंडता की गारंटी है. हिंदू समाज एक जिम्मेदार समाज है. हिंदू समाज हमेशा ‘हम और वे’ की इस मानसिकता से मुक्त रहा है.

क्या बोले पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद?

इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा, “संघ में व्याप्त समरसता और समानता तथा जाति भेद से पूरी तरह मुक्त व्यवहार को देखकर महात्मा गांधी भी बहुत प्रभावित हुए थे, जिसका विस्तृत विवरण संपूर्ण गांधी वांग्मय में मिलता है. गांधी जी ने 16 सितंबर 1947 को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रैली को संबोधित किया था और कहा था कि वह पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार के जीवनकाल में संघ के शिविर में गए थे गांधी जी शिविर के अनुशासन, सादगी और छुआछूत की पूर्ण समाप्ति को देखकर अत्यंत प्रभावित हुए थे.”

First published on: Oct 02, 2025 09:34 AM

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