केंद्र सरकार ने दिव्यांगजनों के हक में बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक और संवेदनशील फैसला लेते हुए केंद्रीय सरकारी आवास योजनाओं में 4% आरक्षण लागू कर दिया है। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि ‘अब केंद्र के आवास आवंटन में दिव्यांगजनों को 4% आरक्षण दिया जाएगा। यह पहल प्रत्येक नागरिक के सशक्तीकरण के प्रति सरकार के समर्पण को दर्शाती है और समावेशी और सुलभ भारत की नींव को भी मजबूत करती है।’
क्या है इस फैसले का मकसद?
केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में लिया गया यह फैसला न केवल दिव्यांगजनों को सम्मान और सुविधा देगा बल्कि एक समावेशी और सुगम भारत के निर्माण की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। सरकार के इस फैसले का मकसद है कि दिव्यांगजनों को भी शहरी विकास और आवास योजनाओं में बराबरी की भागीदारी मिले। मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया है। यह आरक्षण सरकारी फ्लैट, हाउसिंग स्कीम और अन्य रिहायशी योजनाओं में लागू होगा।
A reservation of 4% in the allotment of central government housing will be provided to persons with disabilities.
This initiative reflects the government’s dedication to the empowerment of every citizen and also strengthens the foundation of an inclusive and accessible India:… pic.twitter.com/mF5cZKQqqV
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) May 22, 2025
RPwD Act के तहत लिया गया फैसला
डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स ने इस फैसले को लेकर एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया है, जिसमें यह साफ किया गया है कि अब दिव्यांगजनों को केंद्रीय सरकारी रिहायशी आवासों के आवंटन में 4% आरक्षण मिलेगा। यह निर्णय दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (RPwD Act) के तहत लिया गया है। यह अधिनियम दिव्यांगजनों को बराबरी के अधिकार और जीवन की गरिमा सुनिश्चित करता है।
बता दें कि सभी को घर देने के लक्ष्य के साथ भारत सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने 25 जून, 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य ‘सभी के लिए आवास’ उपलब्ध कराना है। यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS), निम्न आय वर्ग (LIG), मध्यम आय वर्ग (MIG) और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा केंद्रीय सहायता प्रदान करती है।
समावेशी भारत की दिशा में उठाया गया कदम
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस फैसले को समावेशी प्रशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया है। उन्होंने कहा कि यह नीतिगत बदलाव भारत को एक ऐसा देश बनाने की दिशा में ले जाता है, जहां हर नागरिक को समान अवसर मिले चाहे उसकी शारीरिक स्थिति कुछ भी हो। उन्होंने कहा कि ‘दिव्यांगजनों को न सिर्फ सहानुभूति की जरूरत है बल्कि समान भागीदारी और सम्मान के साथ उनके जीवन को आसान बनाना सरकार की जिम्मेदारी है।’ यह फैसला न केवल दिव्यांगजनों को सुलभ और सुरक्षित आवास देने में मदद करेगा बल्कि उन्हें मुख्यधारा में लाकर उनकी सामाजिक और आर्थिक भागीदारी भी बढ़ाएगा। यह कदम एक समावेशी और एक्सेसिबल इंडिया की नींव को और मजबूत करता है।