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कौन थे कोठारी बंधु, जिनकी बहन को भेजा गया राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण

Ram mandir Inauguration Kothari Brother: राम मंदिर आंदोलन के इतिहास में कोठारी बंधुओं के बलिदान को नहीं भुलाया जा सकता। 2 नवंबर 1990 को उन्हें सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर ने गोली मार दी थीं।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Mar 7, 2024 20:04
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Ram mandir Inauguration Kothari Brother
Ram mandir Inauguration Kothari Brother

Ram mandir Inauguration Kothari Brother: 22 जनवरी 2024 को पूरे देश में रामभक्तों के लिए बड़ी खुशी का दिन होगा जब अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा। अयोध्या में इसे लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही है। जब राम मंदिर आंदोलन की बात आती है तो कोलकाता के कोठारी बंधुओं की भी चर्चा होती है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए ट्रस्ट ने कोठारी बंधुओं की बहन पूर्णिमा को भी बुलावा भेजा हैं।

हालांकि बहन पूर्णिमा ने निमंत्रण पत्र प्राप्त होने पर कहा कि वह नहीं चाहती कि इस कार्यक्रम के लिए सपा के किसी नेता को आमंत्रित किया जाए। क्योंकि उनकी सरकार में ही उनके दोनों भाई पुलिस की गोली से मारे गए थे। आइये जानते हैं कोठारी बंधुओं का इतिहास।

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कोलकाता के रहने वाले शरदकुमार और रामकुमार दोनों सगे भाई थे। एक की उम्र 20 साल और दूसरे की 22 साल थी। दोनों साथ-साथ आरएसएस की शाखाओं में जाया करते थे। दोनों द्वितीय वर्ष प्रशिक्षित थे। जब राम मंदिर के लिए विहिप ने आंदोलन का ऐलान किया तो लाखों स्वयंसेवकों की तरह उन्होंने भी तय तारीख को अयोध्या पहुंचने का निर्णय किया। दोनों भाई 20 अक्टूबर 1990 को घर से निकले। हालांकि उनके इस निर्णय उनके पिता हीरालाल खुश नहीं थे लेकिन दोनों भाइयों की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा।

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300 किमी. पैदल चलकर पहुंचे अयोध्या

पिता के मना करने की वजह उनकी बहन पूर्णिमा कोठारी की शादी थी जो उसी साल दिसंबर के महीने में होनी थी। हालांकि दोनों भाइयों ने शादी में शामिल होने का वचन दिया। रामकुमार और शरद कुमार ने 22 अक्टूबर की रात कोलकाता से अयोध्या की ट्रेन पकड़ी। हालांकि दोनों भाई बनारस से आगे नहीं जा सकें क्योंकि सरकार ने आंदोलन को देखते हुए ट्रेनें बंद कर दी थीं। इसके बाद दोनों भाइयों ने पैदल ही अयोध्या पहुंचने का निश्चय किया।

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दोनों करीब 300 किलोमीटर पैदल चलकर 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचे। 30 अक्टूबर को शरद विवादित ढांचे के गुंबद पर चढ़ने वाले पहले शख्स थे। वहां उन्होनें भगवा पताका फहराई। हालांकि वहां तैनात सीआरपीएफ के जवानों ने उन्हें नीचे उतार दिया।

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इंस्पेक्टर ने घर से बाहर लाकर मारी गोली

इसके बाद दोनों भाई वर्तमान भाजपा सांसद विनय कटियार के नेतृत्व में आगे बढ़ रहे थे। इस दौरान सुरक्षा बलों ने भीड़ को देखकर गोली चला दी। फायरिंग होती देख दोनों भाई एक घर में छिप गए। इसके बाद एक इंस्पेक्टर ने शरद को घर से बाहर निकाला और सिर में गोली मार दी। इसके बाद रामकुमार छोटे भाई शरद कुमार को बचाने सड़क पर आए तो इंस्पेक्टर उनको भी गोलियों से भून दिया। दोनों ने मौके पर दम तोड़ दिया। दोनों के नाम पर अयोध्या में एक सड़क का नामकरण भी किया गया है।

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(Ultram)

First published on: Dec 30, 2023 01:24 PM

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