Rahul Gandhi Press Conference: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर बड़ा निशाना साधा है। दिल्ली में पत्रकार वार्ता करते हुए राहुल ने चुनाव आयोग पर कई सवाल उठाए। वोटर लिस्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि फर्जी तरीके से वोट पड़ रहे हैं। महाराष्ट्र चुनाव पर बात करते हुए कहा कि महाराष्ट्र चुनाव में धांधली हुई है। आबादी से ज्याद वोट पड़े। राहुल ने कहा कि अंतिम 5 महीने में अधिक वोटर जोड़े गए। एग्जिट पोल कुछ और आते थे नतीजे कुछ और आते थे। बीजेपी और चुनाव आयोग की मिली भगत है। हरियाणा में हार के लिए राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट को जिम्मेदार बताया। कहा कि ये गड़बड़ियां इसलिए हैं क्योंकि चुनाव आयोग वोटर्स का डेटा उपलब्ध नहीं कराता। उन्होंने आरोप लगाया कि इस वजह से वोटों की चोरी हो रही है।
वोटर पर्ची में गिनाईं ये कमियां
राहुल गांधी ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से कई मतदान पर्चियां दिखाईं। कई पर्चियों में मतदाता के पिता नाम मिक्स अंग्रेजी अल्फाबेट लिखा था। कई पर्चियों में हाउस नंबर जीरो था। कई पर्चियों में मतदाताओं की फोटो नहीं हैं। राहुल गांधी ने बताया कि यह वोटो की चोरी है। कह कि 11,965 डुप्लीकेट वोट हैं। एक वोट महाराष्ट्र,कर्नाटक, यूपी जैसे कई राज्यों में लोगों के वोट हैं। कहा कि पर्ची में या तो पता है ही नहीं, या तो जीरो है।
राहुल ने बताया वोट चोरी का डेटा
- डुप्लीकेट मतदाता- 11,965
- फर्जी पता- 40,009
- एक पते पर कई मतदाता- 10,452

‘1 घर में हैं 80 वोटर’
राहुल ने कहा कि मतदाता सूची में 1 ही घर में 80 वोटर दिखाए गए हैं। ऐसे 10,452 वोटर हैं। इसके अलावा कई वोटर पर्ची में मतदाताओं की फोटो नहीं है या तो फोटो बहुत छोटी है।

महाराष्ट्र चुनाव में जोडे गए 1 करोड़ वोटर
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र में 5 महीनों में 5 साल से ज्यादा मतदाताओं के जुड़ने से हमारा संदेह बढ़ा। फिर शाम 5 बजे के बाद मतदान में भारी उछाल आया। लोकसभा में गठबंधन जीतता है। विधानसभा चुनाव में हमारा गठबंधन पूरी तरह से साफ हो गया। यह संदिग्ध है। राहुल ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा के बीच महाराष्ट्र में 1 करोड़ नए मतदाता जुड़ गए।
‘आयोग इलेक्ट्रॉनिक डेटा क्यों नहीं देता?’
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि सात फुट का कागज है। मान लीजिए मुझे यह पता लगाना है कि क्या आपने 2 बार वोट दिया है या आपका नाम मतदाता सूची में दो बार है, तो मुझे आपकी तस्वीर लेनी होगी और फिर उसे कागज के हर टुकड़े से मिलाना होगा। यही प्रक्रिया है, और यह बहुत ही थकाऊ है। मैंने शुरू में सोचा था कि हम कई सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, लेकिन जब हमें इसका सामना करना पड़ा, तो हमें समझ आया कि चुनाव आयोग हमें इलेक्ट्रॉनिक डेटा क्यों नहीं देता? क्योंकि वे नहीं चाहते कि हम ध्यान से देखें। उसका विश्लेषण न हो। अगर चुनाव आयोग हमें इलेक्ट्रॉनिक डेटा देता, तो हमें 30 सेकंड लगते। मैं दोहराता हूँ, इसीलिए हमें इस तरह का डेटा दिया जा रहा है, ताकि उसका विश्लेषण न हो।