नई दिल्ली: देश में गुणवत्तापरक शिक्षा पद्धति के विकास और देश को फिर से विश्वगुरु बनाने के दावों की उस वक्त हवा निकलती नजर आई, जब क्यूएस बेस्ट स्टूडेंट सिटीज रैंकिंग में टॉप 100 में हमारे देश का एक भी शहर नजर नहीं आया। यहां तक कि देश में सबसे हाई रैंक रखता मुंबई इस लिस्ट में 118वें स्थान पर है, इसके बाद दिल्ली 132वें, बेंगलुरु 147वें, जबकि चेन्नई 151वें नंबर पर है।
दरअसल, हर साल कई भारतीय छात्र विदेश में पढ़ाई करने की चाहत लेकर विदेश जाते हैं। यहां उनकी एकमात्र मांग उत्कृष्ट कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करना है। इस खोज में सही शहर चुनना महत्वपूर्ण है। छात्रों को सूचित निर्णय लेने में मदद करने के लिए, क्यूएस बेस्ट स्टूडेंट सिटीज रैंकिंग हर साल जारी की जाती है। यह रैंकिंग विभिन्न मानदंडों के आधार पर दुनियाभर के शहरों का मूल्यांकन करती है। इस पर विचार करने के लिए एक शहर की आबादी कम से कम 2.5 लाख होनी चाहिए और QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में कम से कम 2 विश्वविद्यालय होने चाहिए। अगर थोड़ा कहे में ज्यादा समझने वाली बात की जाए तो क्यूएस बेस्ट स्टूडेंट सिटीज रैंकिंग विदेश में उच्च शिक्षा के अवसरों की तलाश कर रहे छात्रों के लिए एक मूल्यवान संसाधन है।
यह भी पढ़ें: Explainer में जानें जातिगत जनगणना बनाम ओबीसी वोट को साधने की राजनीतिक दलों की कोशिश
इसकी हालिया रैंकिंग क्यूएस बेस्ट स्टूडेंट सिटीज रैंकिंग में टॉप 100 में लंदन ने छात्रों के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहर के रूप में शीर्ष स्थान हासिल किया, उसके बाद टोक्यो, जापान दूसरे स्थान पर और सियोल, दक्षिण कोरिया तीसरे स्थान पर रहा। चौथे स्थान पर मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया और पांचवें स्थान पर म्यूनिख, जर्मनी रहा। शीर्ष दस में अन्य शहरों में पेरिस (6वें), सिडनी (7वें), बर्लिन (8वें), ज्यूरिख (9वें), और बोस्टन, यूएसए (10वें) शामिल हैं।
अफसोस की बात है कि इस साल की रैंकिंग में भारतीय शहरों का प्रदर्शन उतना दमदार नहीं रहा। उनमें से कोई भी शीर्ष 100 में जगह नहीं बना सका। सर्वोच्च रैंक वाला भारतीय शहर मुंबई 118वें स्थान पर है, इसके बाद दिल्ली 132वें स्थान पर है। बेंगलुरु 147वें और चेन्नई 151वें नंबर पर है। इस बार की रैंकिंग में लंदन, टोक्यो और सियोल वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष पर रहे।