दिनेश पाठक, वरिष्ठ पत्रकार
Farmers Protest Bharat Bandh Bharat Ratna BJP PM Modi: किसान नेता चौधरी चरण सिंह और हरित क्रांति के जनक MS स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बीच किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। 13 फरवरी को पंजाब-हरियाणा के किसानों ने दिल्ली पहुंचकर नेताओं-मंत्रियों को घेरने की योजना बनाई है तो 16 फरवरी को भारत बंद का भी आह्वान किसान संगठनों ने कर रखा है। किसानों के आंदोलन की भनक लगते ही पुलिस सतर्क है। जगह-जगह उन्हें रोकने के बंदोबस्त किए गए हैं।
हरियाणा सरकार ने तो कई जगह मुख्य मार्गों को स्थायी तौर पर बंद कर दिया है। छोटे-छोटे रास्तों पर फिर वैसे ही गड्ढे बना दिए गए हैं, जिस तरह से पहले किसान आंदोलन को रोकने के लिए बनाए गए थे। राज्यों में गिरफ्तारियां शुरू हो गई हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने एक्स पर लिखा है कि मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र के इशारे पर भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव और आराधना भार्गव को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। यह भारत बंद के आंदोलन को दबाने को उठाया गया कदम है।
The farmers across the country approaching Delhi for protest against BJP
This is 303 MPs V people of India 🔥#DelhiChalopic.twitter.com/JswJZ9z5ho
— Amock (@Politics_2022_) February 12, 2024
सरकार पर मांगें नहीं माने जाने का आरोप
वहीं दिल्ली बॉर्डर पुलिस अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है। जांच-पड़ताल, पूछताछ तेज हो गई है। व्यवस्था ऐसी है कि किसान दिल्ली न पहुंच सकें। चुस्त प्रशासनिक व्यवस्था से किसान चिढ़ गए हैं। गांव-गांव ट्रैक्टर परेड निकाली जा रही हैं। अब आम आदमी के मन में बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह आंदोलन ऐसे समय पर क्यों हो रहा है, जब किसानों के 2 हितैषियों पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और महान वैज्ञानिक डॉ MS स्वामीनाथन को केंद्र सरकार ने भारत रतन देकर सम्मानित किया है।
किसान नेता चौधरी पुष्पेंद्र सिंह इसका जवाब आसान शब्दों में देते हैं। उनका कहना है कि इस आंदोलन का भारत रत्न की घोषणा से कोई लेना-देना नहीं है। यह तो चिढ़ाने वाली बात हो गई कि सरकार ने जहां किसान हितैषियों को भारत रत्न दिया, वहीं किसानों को सता रही है। उनकी कोई मांग मानी नहीं जा रही है। आखिर कब तक किसान शांत रहेगा? यह बड़ा सवाल है। अब तो संसद का आखिरी सत्र समाप्त हो चुका है। पिछले किसान आंदोलन के समय से चली आ रही किसी भी मांग को सरकार ने आज तक पूरा नहीं किया है।
Farmers under Kisan Mazdoor Morcha are coming to Delhi for their right, the MSP Guarantee Law which was promised to farmers during #FarmersProtest, farmers convoy is 10 Km long !! pic.twitter.com/9TX1yGVJRi
— Ramandeep Singh Mann (@ramanmann1974) February 12, 2024
MSP के लिए बनी कमेटी पर काम नहीं करने के आरोप
किसानों ने MSP की लीगल गारंटी मांगी थी। स्वामीनाथन कमेटी ने भी सिफारिश में कहा था कि किसानों को फसल की लागत पर 50 फीसदी लाभ जोड़कर MSP दिया जाए, लेकिन सरकार ने बात नहीं मानी। पिछले किसान आंदोलन के बाद सरकार ने एक कमेटी बनाई थी, जो केवल बैठकें कर रही है। इस कमेटी ने कोई भी काम नहीं किया है। अब तो संसद सत्र भी समाप्त हो चुका है। लीगल गारंटी बिना संसद में पास हुए मिल नहीं सकती। मतलब साफ है कि अब मोदी सरकार किसानों के लिए फिलहाल तो कुछ नहीं कर सकती। पुष्पेंद्र कहते हैं कि किसानों ने यह भी मांग रखी है कि लीगल गारंटी के साथ जो MSP तय हो, उससे कम दाम पर कोई भी खरीद न कर सके।
लखीमपुर खीरी में हुए हादसे में कोई कार्रवाई नहीं हुई
किसान नेता अनिल चौधरी कहते हैं कि पिछले आंदोलन के समय किसानों पर दर्ज फर्जी मुकदमों को वापस लेने का वादा सरकार ने किया था, आज तक वे मुकदमे खत्म नहीं हुए। थाना-पुलिस-कोर्ट-कचहरी भाग-भाग कर किसान परेशान हैं। पुष्पेंद्र कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों पर गाड़ियां चढ़ाकर कुचलने के मामले में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की संलिप्तता पाई गई। उनका बेटा गिरफ्तार हुआ। आज वह जेल से बाहर है और मंत्री अपनी कुर्सी पर जमे हैं। किसानों की मांग थी कि मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो। उनके बेटे की जमानत रद कर दोबारा जेल भेजा जाए। सरकार ने कुछ भी नहीं सुना। ऐसे में किसान आंदोलन न करे तो क्या करे?
Big Breaking 👇
Farmers going to Protest pic.twitter.com/Be9vzYUbhb
— Ashish Singh (@AshishSinghKiJi) February 12, 2024
बैंकों और साहूकारों के कर्ज तले दबे किसान
एक महत्वपूर्ण मांग किसानों की कर्जमाफ़ी को लेकर भी है। पुष्पेंद्र कहते हैं कि कर्ज के भंवर में फंसकर किसान खुदकुशी कर रहा है। बैंक का कर्ज चुकाने के लिए साहूकारों से कर्ज लेकर उनके जाल में फंस रहा है। अगर सरकार वाकई किसानों की भलाई चाहती है तो कम से कम एक बार कर्ज के जाल से मुक्त करके किसानों को खुशहाल जीवन जीने में मदद करे। यही कारण है कि किसान सड़क पर उतरने को मजबूर हैं। इस आंदोलन के लिए सरकार जिम्मेदार है। उसे किसानों की सुननी पड़ेगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोकसभा चुनाव में किसान इसका हिसाब चुकता करेगा।