Pranab Mukherjee on Babri Masjid: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि 1986 में उनके पिता प्रणब मुखर्जी अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ताला खोलने की अनुमति देने के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के फैसले से बेहद नाराज थे। उनका मानना था कि इससे कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंचेगा और शासन में धर्म और वोट-बैंक की राजनीति के मिश्रण की एक बुरी मिसाल भी स्थापित करेगा।
‘कमलापति त्रिपाठी के पत्र को नजरअंदाज करने से थे नाराज’
कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा कि उनके पिता प्रणब मुखर्जी इस बात से बेहद नाराज थे कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के उस पत्र को राजीव गांधी ने नजरअंदाज कर दिया, जिसमें विवादित ढांचे का ताला न खोलने की सलाह दी गई थी।
‘मस्जिद विध्वंस को बताया कायराना पूर्ण कृत्य’
शर्मिष्ठा ने यह भी कहा कि प्रणब मुखर्जी ने मस्जिद के विध्वंस को कायराना पूर्ण कृत्य बताया। उनका मानना था कि इससे आने वाले समय में कांग्रेस को हिंदी पट्टी में बेहद नुकसान उठाना पड़ेगा। वे पूरे मामले से बहुत परेशान थे। कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता ने बताया कि उनके पिता की लिखी डायरी पिछले 50 सालों में भारतीय राजनीति का एक व्यापक दृष्टिकोण पेश करती है। इसे लेकर उन्होंने ‘प्रणब, माई फादर’ नाम की किताब भी लिखी है।
प्रधानमंत्री बनना चाहते थे ‘प्रणब दा’
प्रणब मुखर्जी को उनके चाहने वाले प्रणब दा के नाम से भी जानते थे। शर्मिष्ठा ने बताया कि उनके पिता की ख्वाहिश भी प्रधानमंत्री बनने की थी। हालांकि, उन्हें पता था कि इसकी संभावना काफी कम है। वे बुद्धिमान व्यक्ति थे और अपनी कमजोरियों को जानते थे।
इमरजेंसी का किया समर्थन
शर्मिष्ठा ने बताया कि उनके पिता ने परिस्थितियों के आधार पर पर इमरजेंसी का समर्थन किया था। उस समय दंगे हो रहे थे, एक केंद्रीय मंत्री की हत्या कर दी गई थी और प्रधानमंत्री पर महाभियोग चलाने का कोर्ट ने निर्देश दिया था।
‘इमरजेंसी के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था’
कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता ने बताया कि मेरे पिता का मानना था कि इमरजेंसी के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं है। हालांकि, बाद में उन्हें लगा कि इंदिरा गांधी और विपक्षी नेता जेपी नारायण के बीच एक बातचीत होनी चाहिए थी, जिससे इतिहास बदल सकता था।
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आरएसएस के कार्यक्रम में क्यों गए प्रणब मुखर्जी?
शर्मिष्ठा ने अपने पिता के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रम में शामिल होने पर कहा कि उनका हर वर्ग के लोगों के साथ अच्छे संबंध थे, चाहे वह वामपंथ के सीताराम येचुरी हों या दक्षिणपंथ के अरुण जेटली। उनका मानना था कि आरएसएस एक ऐसी ताकत बन गया है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।