संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में मंगलवार को भी जमकर हंगामा हुआ। सोमवार को प्रधान की ओर से अपनी टिप्पणी वापस ले लिए जाने के बावजूद मंगलवार को डीएमके सांसद कनिमोझी के नेतृत्व में पार्टी सांसदों ने नई शिक्षा नीति के खिलाफ संसद में विरोध प्रदर्शन किया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने मंगलवार को एनईपी में तीन-भाषा फॉर्मूले को लेकर चल रहे विवाद के बीच विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। राज्यसभा में बोलते हुए उन्होंने विपक्ष से कहा कि दुनिया बहुभाषावाद पर चर्चा कर रही है और ‘हम कहां फंस गए हैं’? उन्होंने विपक्ष के उन आरोपों के बारे में भी बात की जिसमें कहा गया था कि सरकार भाषाओं का इस्तेमाल करके समाज को बांटना चाहती है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कभी भी भाषा का इस्तेमाल करके ऐसा ‘पाप’ नहीं करेगी।
‘वो मेरी बहन जैसी हैं’
प्रधान ने राज्यसभा में अपने बयान पर हुए हंगामे के बारे में भी बात की। दरअसल, सोमवार को उन्होंने लोकसभा में डीएमके पर तीन-भाषा के फॉर्मूले का हवाला देकर ‘छात्रों का भविष्य बर्बाद करने’ का आरोप लगाया था। इस पर राज्यसभा में जवाब देते हुए कहा कि ‘पिछले 24 घंटे में मैंने बहुत कुछ सुना है। लेकिन मैं एक ओडिया व्यक्ति हूं और मैं उस पहले राज्य से आता हूं जो भाषाई आधार पर बना था।’ इस दौरान उन्होंने कहा कि डीएमके नेता कनिमोझी के बारे में कल जो कुछ कहा उसके लिए फिर खेद जताता हूं, वो मेरी बहन जैसी हैं।
Speaking in Rajya Sabha https://t.co/JRzfi1HtTq
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) March 11, 2025
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क्या है पूरा विवाद?
बता दें कि सोमवार को लोकसभा में धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु सरकार पर हिंदी और संस्कृत के खिलाफ पूर्वाग्रह रखने और भाषाई भेदभाव को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। प्रधान ने संसद में कहा कि डीएमके सरकार राज्य में बहुभाषावाद के खिलाफ माहौल बना रही है। केंद्र द्वारा लागू तीन भाषा सूत्र को तमिलनाडु सरकार राजनीतिक कारणों से लागू नहीं कर रही है। प्रधान ने कहा कि हिंदी और संस्कृत को लेकर गलत धारणा फैलाई जा रही है और छात्रों को उनके अध्ययन के विकल्पों से वंचित किया जा रहा है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि डीएमके का काम भाषा विवाद पैदा करना है। इस मुद्दे पर पार्टी राजनीति कर रही है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि डीएमके एक अलोकतांत्रिक और असभ्य पार्टी है। इसके बाद डीएमके सांसद कनिमोझी ने ‘असभ्य’ कहने पर धर्मेंद्र प्रधान की आलोचना की और कहा कि हमें कभी भी केंद्र की शर्तों के साथ नई शिक्षा नीति और तीन भाषा नीति स्वीकार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने राज्य के दो हजार करोड़ रुपये रोक रखे हैं ताकि हम पर नीति लागू करने का दबाव बनाया जा सके।
धर्मेंद्र प्रधान के बयान को रिकॉर्ड से हटाया गया
कनिमोझी के आरोप का जवाब देते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अगर मेरी किसी बात से डीएमके के साथियों को दुख पहुंचा हो तो मैं अपने शब्द वापस लेता हूं। इसके बाद स्पीकर की ओर से बताया गया है मंत्री के बयान के उस हिस्से को रिकॉर्ड से हटा दिया गया है।
ऐसी टिप्पणियां मंजूर नहीं: कनिमोझी
बाद में मीडिया से बात करते हुए कनिमोझी ने कहा कि हमारे सीएम और हमारे सांसदों के खिलाफ इस्तेमाल किए गए शब्द भयानक हैं। ये वो शब्द नहीं थे जिन्हें हम इस देश में किसी भी इंसान के खिलाफ इस्तेमाल कर सकें। उन्होंने कहा, ‘हम किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हैं। भाषा का मामला राज्य का विषय है। इसलिए हिंदी को थोपने की कोशिश न करें। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में दो भाषा नीतियों का पालन किया जाता है। अंग्रेजी और तमिल। तमिलनाडु में शिक्षा का स्तर अच्छा है। हमारी अर्थव्यवस्था भी अच्छी है।