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बेफिक्र होकर नौकरी पर जाएंगी माएं… सरकार करेगी बच्चों की देखभाल, जानें क्या है पालना योजना?

महिलाएं शिक्षा, कौशल और रोजगार में आगे बढ़ रही हैं। अधिक से अधिक महिलाएं अब अपने घरों के अंदर या बाहर काम करके रोजगार से जुड़ी हैं। इसके साथ ही महिलाओं की चुनौती भी दोहरी हो गई है, जिसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक स्कीम निकाली है।

Author Edited By : Shabnaz Updated: Apr 8, 2025 14:07
Palna Yojana

पालना योजना यूं तो बच्चों के लिए है, लेकिन इसका ज्यादा फायदा उनकी माताओं को मिलेगा। दरअसल, पालना योजना महिलाओं के लिए एक बड़ा सहारा बनकर सामने आई है, खासकर उन कामकाजी महिलाोओं के लिए जिन्हें हर समय अपने बच्चों की देखभाल की चिंता लगी रहती है। इस योजना को ऐसी ही माताओं के लिए लाया गया है, जो बच्चों की चिंता किए बिना अपनी नौकरी पर ध्यान दे सकती हैं। इस योजना के जरिए सरकार बच्चों की सही देखभाल और विकास के लिए काम कर रही है, जिससे एक स्वस्थ और समावेशी समाज की नींव रखी जा रही है। पालना योजना मिशन शक्ति के अंतर्गत आती है। जानिए इसके फायदे क्या हैं?

पालना योजना क्या है?

पालना योजना में 6 महीने से 6 साल की उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित और अच्छा वातावरण दिया जाता है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चों को पूरी देखभाल, पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं या नहीं। इस योजना का सबसे ज्यादा लाभ एकल परिवारों को हो रहा है, क्योंकि ऐसे घरों में बच्चों की देखभाल के लिए कोई नहीं होता है, जिससे बच्चे की मां की नौकरी पर असर पड़ता है।

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पालना योजना का उद्देश्य

पालना योजना का उद्देश्य बच्चों (6 महीने से 6 वर्ष की आयु तक) के लिए सुरक्षित और संरक्षित वातावरण देना है। इसके अलावा, गुणवत्तापूर्ण क्रेच सुविधा, पोषण सहायता, बच्चों के स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक विकास और टीकाकरण देना है। पालना के तहत क्रेच सुविधाएं सभी माताओं को दी जाती हैं , चाहे उनकी रोजगार स्थिति कुछ भी हो। आपको बता दें कि डे-केयर सेवाओं की कमी अक्सर महिलाओं को बाहर जाकर काम करने से रोकती है। कामकाजी माताएं अपने बच्चों की उचित देखभाल और सुरक्षा के लिए पालना योजना के जरिए डे-केयर क्रेच सुविधाएं ले सकती हैं।

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क्या सुविधाएं मिलती हैं?

पालना योजना में आपके बच्चे की देखभाल के लिए एक कमरा दिया जाता है। इसके अलावा, 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए एक्टिविटीज भी रखी जाती हैं। वहीं, 3 से 6 साल की उम्र के बच्चों के लिए प्री-स्कूल शिक्षा, उनका पोषण(जो स्थानीय स्रोत से प्राप्त होता है), विकास निगरानी, ​​स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण भी शामिल है।

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First published on: Apr 08, 2025 02:07 PM

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