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बेगुनाहों को मत मारो…उंगलियां काटी, 4 गोलियां मारी; पहलगाम में आतंकियों से भिड़ने वाले आदिल की कहानी

पहलगाम में आतंकियों से भिड़कर टूरिस्टों की जान बचाने वाले आदिल हुसैन की कहानी पढ़ें। पिता हैदर ने बताया कि कैसे उसने आतंकी से बंदूक छीनने की कोशिश की और टूरिस्टों की जान बचाई? आतंकियों ने उसे 4 गोलियां मारी और उसके हाथ की उंगलियां काट दी थीं।

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Apr 27, 2025 10:16
Syed Adil Hussain Shah

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में टूरिस्टों को बचाते हुए जान गंवाने वाले सैयद आदिल हुसैन शाह की कहानी सीना गर्व से चौड़ा कर देगी। सैयद एक टूरिस्ट फैमिली के साथ था और अपने घोड़ों पर उन्हें सैर करा रहा था कि आतंकी हमला हो गया। आतंकियों ने उसके ग्राहक पर बंदूक तान दी तो उसकी बेटी गिड़गिड़ाने लगी। यह देखकर आदिल आतंकियों का विरोध करने लगा। उसने आतंकी से बंदूक छीनने की कोशिश की, लेकिन दूसरे आतंकी ने उस पर चाकू से हमला किया, जिससे उसके हाथ की 3 उंगलियां कट गईं। वह गिर गया तो आतंकियों ने उसे 4 गोलियां मार दी। 2 गोलियां सीने में, एक पेट में और एक गले में लगी। उसने कहा कि बेगुनाहों को मत मारो और आतंकियों ने उस जान से मार दिया।

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टूरिस्टों को बचाते हुए कुर्बान हुआ

26 साल के आदिल के पिता हैदर शाह, भाई-बहन आदिल के चले जाने से टूट गए हैं। आदिल के अंतिम संस्कार में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी शामिल हुए। आदिल के पिता हैदर ने उन्हें अपने बेटे की बहादुरी का किस्सा किया, जो उन्हें उस शख्स ने बताया था, जिसकी जान बचाते हुए आदिल कुर्बान हुआ था। आदिल के पिता हैदर ने बताया कि आदिल को वे पहलगाम जाने से रोकते थे। लेकिन वह कहता था कि वहां अच्छे पैसे मिल जाएंगे, इसलिए वह उस दिन भी अपने घोड़े लेकर पहलगाम गया था, लेकिन सोचा नहीं था कि कभी लौटकर नहीं आएगा। दोपहर करीब 2 बजे पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकी हमला होने की खबर मिली। परिवार को पता था कि आदिल भी वहीं गया है तो वे उसका फोन मिलाने लगे, लेकिन फोन बंद था।

 

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पिता ने शहादत पर गर्व जताया

हैदर ने बताया कि शाम करीब 7 बजे फोन ऑन हुआ, लेकिन रिसीव नहीं हुआ। वे थाने गए तो पुलिसवाले बोले कि अभी इलाका सील है, नहीं जा सकते। सुबह समाचार देखा तो पता चला कि अस्पताल में बैसरन घाटी से शव लाए गए हैं। छोटा बेटा और भाई अस्पताल गए तो वहां आदिल का शव मिला। उसकी लाश श्रीनगर भेजी गई। बेटे और भाई ने फोन करके बताया कि आदिल की मौत हो गई है। आदिल का शव देखा तो दिल कांप गया।

3 उंगलियां कटी हुई थीं। गोलियों से जख्म के निशान थे। जवान बेटे का जनाजा कंधों पर निकाला, लेकिन फख्र भी हुआ। आदिल ने किसी की जान बचाकर अपनी जान गंवाई थी। आदिल परिवार में इकलौता कमाने वाला था, लेकिन पर्यटकों को बचाने के लिए बुजदिल आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गया। मुझे अपने बेटे की शहादत पर गर्व है, जिस तरह से उसने कुछ औरतों और बच्चों को बचाया, उस पर नाज है। हिंदुस्तान जिंदाबाद…

First published on: Apr 27, 2025 10:12 AM

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