नई दिल्ली: संसद में मणिपुर मामले पर जारी हंगामे के बीच विपक्ष ने केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला लिया है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने एएनआई से कहा- विपक्षी दल कल सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे। हमारे पास अविश्वास प्रस्ताव का सहारा लेने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। सरकार विपक्षी दलों की मांग को स्वीकार नहीं कर रही है। मणिपुर के मुद्दे पर कम से कम प्रधानमंत्री को संसद में एक मजबूत बयान देना चाहिए क्योंकि वह भारत के प्रधानमंत्री के अलावा संसद में हमारे नेता भी हैं।
अधीर रंजन चौधरी ने आगे कहा- यह स्वाभाविक रूप से एक सहज मांग थी। फिर भी प्रधानमंत्री हमारी मांग पर विचार नहीं कर रहे हैं। यही कारण है कि हमने अविश्वास प्रस्ताव लाने के बारे में सोचा। कोई अन्य विकल्प नहीं मिलने पर हम इस संसदीय साधन का सहारा लेने के लिए मजबूर हैं।
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क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव
जब लोकसभा में विपक्षी दल को लगता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत नहीं है या फिर सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है, तब अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है। इसे ‘नो कॉन्फिडेंस मोशन’ कहते हैं। संविधान में इसका उल्लेख आर्टिकल-75 में किया गया है। जबकि लोकसभा के नियम 198 में इसकी प्रक्रिया बताई गई है।
Opposition parties will be bringing no confidence motion in Lok Sabha against the government tomorrow: Leader of Congress in Lok Sabha, Adhir Ranjan Chowdhury to ANI pic.twitter.com/wbaWpVEYUK
— ANI (@ANI) July 25, 2023
कम से कम 50 सदस्यों को करना होगा स्वीकार
इसके अनुसार, केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है। अगर सदन में बहुमत नहीं है, तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है। अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा में ही लाया जा सकता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। इसके तहत सदन का कोई भी सदस्य अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है। विपक्ष के सदस्य को सुबह 10 बजे से पहले प्रस्ताव की लिखित सूचना देनी होती है। इसमें कम से कम 50 सदस्यों को प्रस्ताव स्वीकार करना होता है। इसके बाद स्पीकर प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख तय करते हैं।
मोदी सरकार को लंबी चर्चा के लिए मजबूर करना उद्देश्य
दरअसल, संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद से विपक्षी दल मांग कर रहे हैं कि पीएम मोदी सदन के भीतर मणिपुर हिंसा पर अपना बयान दें। इसके जरिए विपक्ष मोदी सरकार पर दबाव बनाना चाहती है ताकि केंद्र को लंबी चर्चा पर मजबूर किया जा सके। हालांकि केंद्र की मोदी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज है।
अगर विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आता है तो उसका फेल होना लगभग तय है। लोकसभा में अकेले बीजेपी के पास 301 एमपी हैं। गठबंधन एनडीए के पास 333 सांसद हैं। भारत की आजादी के बाद से लोकसभा में 27 अविश्वास प्रस्ताव लाए गए हैं। आखिरी अविश्वास प्रस्ताव मोदी सरकार के खिलाफ जुलाई 2018 में लाया गया था। हालांकि ये बुरी तरह फेल रहा था। हालांकि चौधरी ने कहा है कि हर बार अविश्वास प्रस्ताव जीतने के लिए नहीं लाया जाता।
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