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मेडिकल कोर्स में बड़ा बदलाव… सेक्स और वर्जिनिटी के महत्व समझ सकेंगे छात्र

NMC revised the Forensic Medicine Curriculum: मनोरोग विज्ञान का पाठ्यक्रम अब लिंग, लैंगिक पहचान, आम मिथकों और गलत धारणाओं जैसे विस्तृत विषयों का उल्लेख नहीं करता है, लेकिन इसे पूरी तरह से वापस नहीं लिया गया है।

Edited By : Nandlal Sharma | Updated: Sep 4, 2024 09:06
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राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने फोरेंसिक मेडिसिन के कोर्स में संशोधन किया है।

NMC revised the Forensic Medicine Curriculum: चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र की शीर्ष संस्था राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने अंडर ग्रेजुएट मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए फोरेंसिक मेडिसिन पाठ्यक्रम को संशोधित किया है। आयोग के इस कदम के बाद छात्रों को अप्राकृतिक यौन अपराध कैटेगिरी में सोडोमी (गुदा मैथुन) और समलैंगिकता का अध्ययन करना होगा।

संशोधित पाठयक्रम में अब छात्रों को हाइमन का महत्व, कौमार्य (वर्जिनिटी) की परिभाषा और शीलभंग के चिकित्सकीय और कानूनी महत्व के बारे में पढ़ाया जाएगा। बता दें कि इन सभी टॉपिक्स को 2022 में मद्रास हाईकोर्ट के दिशानिर्देशों पर मॉड्यूल को संशोधित करते समय हटा दिया गया था।

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संशोधित पाठ्यक्रम में समलैंगिक व्यक्तियों के बीच सहमति से यौन संबंध, व्यभिचार, अनाचार और पशुता जैसे अपराधों को हटा दिया गया है। LGBTQ+ समुदाय के लिए चिकित्सा शिक्षा को ज्यादा सहज बनाने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने 2022 में इन टॉपिक्स को मॉड्यूल में शामिल किया था।

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पाठ्यक्रम में वर्जिनिटी के मॉड्यूल को मद्रास हाईकोर्ट के दिशानिर्देश पर गठित एक्सपर्ट कमिटी की सिफारिशों के आधार पर संशोधित किया गया था। इस संशोधन का लक्ष्य स्टूडेंट्स को इस तरह से प्रशिक्षित करना था कि यदि अदालत आदेश देती है तो वे इन टेस्ट के अवैज्ञानिक आधार के बारे में कोर्ट को किस तरह से जानकारी दें।

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आयोग ने 2022 में मनोरोग विज्ञान के पाठ्यक्रम में भी बदलाव किया था। ताकि स्टूडेंट्स को लिंग, लैंगिक पहचान और यौन रुझान के बारे में समझने में ज्यादा मदद मिले। हालांकि मनोरोग विज्ञान का पाठ्यक्रम अब लिंग, लैंगिक पहचान, आम मिथकों और गलत धारणाओं जैसे विस्तृत विषयों का उल्लेख नहीं करता है, लेकिन इसे पूरी तरह से वापस नहीं लिया गया है।

मनोरोग विज्ञान का मॉड्यूल इस बात पर जोर नहीं देता कि छात्रों को लैंगिक पहचान से जुड़े विकारों के बारे में भी पढ़ाया जाना चाहिए।

फोरेंसिक मेडिसिन के संशोधित पाठ्यक्रम में छात्रों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम के नए कानूनों और प्रावधानों के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। पाठ्यक्रम में रेप, चोट और यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा जैसे मामलों के लिए उचित प्रावधानों का भी उल्लेख है।

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Written By

Nandlal Sharma

First published on: Sep 04, 2024 07:20 AM

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