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तेलंगाना के निजामाबाद केस में NIA ने दाखिल की दूसरी चार्जशीट, कहा- PFI देता है हथियारों की ट्रेनिंग

Nizamabad case: तेलंगाना के निजामाबाद मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की ओर से दूसरी चार्जशीट दाखिल की गई है। ताजा चार्जशीट में कहा गया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कैडर मुस्लिम युवाओं को भड़काने और कट्टरपंथी बनाने, उन्हें प्रतिबंधित संगठन में भर्ती करने और विशेष रूप से आयोजित प्रशिक्षण शिविरों में […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Mar 17, 2023 15:06
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Nizamabad case: तेलंगाना के निजामाबाद मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की ओर से दूसरी चार्जशीट दाखिल की गई है। ताजा चार्जशीट में कहा गया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कैडर मुस्लिम युवाओं को भड़काने और कट्टरपंथी बनाने, उन्हें प्रतिबंधित संगठन में भर्ती करने और विशेष रूप से आयोजित प्रशिक्षण शिविरों में हथियारों का प्रशिक्षण देने में शामिल पाए गए हैं।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने हैदराबाद में NIA के स्पेशल कोर्ट में पूरक आरोप पत्र दायर किया, जिसमें पांच अभियुक्त शेख रहीम उर्फ अब्दुल रहीम, शेख वाहिद अली उर्फ अब्दुल वहीद अली, जफरुल्ला खान पठान, शेख रियाज अहमद और अब्दुल वारिस को शामिल किया गया है। अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 120बी, 153ए और यूए (पी) अधिनियम, 1967 की धारा 13(1)(बी), 18, 18ए और 18बी के तहत चार्जशीट में शामिल किया गया है।

अगस्त 2022 में तेलंगाना पुलिस ने शुरू की थी जांच

इससे पहले दिसंबर 2022 में एनआईए ने अपना पहला चार्जशीट दायर किया था। बता दें कि निजामाबाद केस में तेलंगाना पुलिस ने पिछले साल 4 जुलाई को मामला दर्ज किया था। इसके बाद अगस्त 2022 में तेलंगाना पुलिस से जांच अपने हाथ में लेने के बाद मामले में NIA ने 11 आरोपियों के खिलाफ अपना पहला आरोप पत्र दायर किया था।

एनआईए ने कहा कि आरोपित व्यक्ति प्रशिक्षित पीएफआई कैडर हैं, जो प्रभावित मुस्लिम युवाओं को भड़काने और कट्टरपंथी बनाने, उन्हें पीएफआई में भर्ती करने और विशेष रूप से आयोजित पीएफआई प्रशिक्षण शिविरों में हथियार प्रशिक्षण देने में शामिल पाए गए थे।

NIA ने बताएं PFI कैडरों के उद्देश्य

आतंकवाद रोधी एजेंसी ने कहा कि PFI कैडरों का उद्देश्य 2047 तक देश में इस्लामिक शासन स्थापित करने की साजिश को आगे बढ़ाने के लिए हिंसक आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना था। कहा गया कि इन PFI कैडरों ने धार्मिक ग्रंथों की गलत व्याख्या की और घोषणा की कि भारत में मुसलमानों की पीड़ा को कम करने के लिए जिहाद का एक हिंसक रूप आवश्यक था।

बता दें कि विभिन्न राज्य पुलिस इकाइयों और राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा की गई जांच के दौरान हिंसक गतिविधियों में शामिल होने के बाद पीएफआई और इसके कई सहयोगियों को गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा पिछले साल सितंबर में एक ‘गैरकानूनी संघ’ घोषित किया गया था।

First published on: Mar 17, 2023 03:06 PM

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