---विज्ञापन---

क्या मौसमी बीमारी बन गया है निपाह, वायरस को लेकर केंद्र सरकार कितना गंभीर? जानें हर सवाल का जवाब

Nipah Virus Kerala Cases Death Bangladesh strain Updates: निपाह वायरस का कहर 5 साल में चौथी बार केरल पर बरपा है। 2018 के बाद 2019 और 2021 में भी वायरस के मामले सामने आए थे। 2018 में तो 21 लोगों की मौत भी हुई थी। फिलहाल, केरल में निपाह के अब तक छह मरीज सामने […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Apr 22, 2024 17:31
Share :
Nipah virus, Bangladesh strain, Nipah virus crisis, nipah virus case in kerala, nipah virus outbreak kerala, nipah cases in kerala 2023

Nipah Virus Kerala Cases Death Bangladesh strain Updates: निपाह वायरस का कहर 5 साल में चौथी बार केरल पर बरपा है। 2018 के बाद 2019 और 2021 में भी वायरस के मामले सामने आए थे। 2018 में तो 21 लोगों की मौत भी हुई थी। फिलहाल, केरल में निपाह के अब तक छह मरीज सामने आए हैं, जिनमें से दो मरीजों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा करीब 1100 लोगों की पहचान की गई है, जो संक्रमितों के संपर्क में आए हैं। सबसे बड़ा सवाल कि आखिर बरसात के मौसम में ही निपाह क्यों कहर बरपाता है? क्या निपाह वायरस मौसमी बीमारी बन गई है?

दरअसल, IMCR के DG राजीव बहल के मुताबिक, केरल में ही बार-बार निपाह क्यों कहर बरपा रहा है? इसके मामले केरल में ही पहले क्यों सामने आते हैं? क्या ये मौसमी बीमारी बन गया है? इस संबंध में कोई सटीक जवाब नहीं मिल पाया है।

हां, उन्होंने ये जरूर कहा कि कुछ महीनों पहले हमने कोरोना जैसी गंभीर बीमारी का सामना किया है। कोरोना की वैक्सीन के बाद हमारी इम्यूनिटी मजबूत हो चुकी है। ये किसी बीमारी से लड़ने के लिए अच्छी बात है। फिर भी निपाह को लेकर तमाम तरह की सावधानियां बरतने की अपील की गई है। प्रशासन की ओर से भी प्रतिबंध को लेकर तैयारियां हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से एहितयातन जिनोम सीक्वेंसिंग जारी रखी गई है।

डेथ रेट अधिक तो कंट्रोल में कैसे है निपाह?

निपाह वायरस को कोरोना से ज्यादा खतरनाक बताया गया है। कोरोना में मौत की दर 2 से 3 फीसदी थी, जबकि निपाह वायरस से मौत की दर करीब 40 से लेकर 75 फीसदी तक है। इसके पीछे के वजहों के बारे में विशेषज्ञों की राय है कि कोरोना के वैक्सीन के आने के बाद मौत की दर में कमी आई, लेकिन निपाह वायरस की रोकथाम के लिए फिलहाल कोई वैक्सीन नहीं आई है।

हां, निपाह के इलाज के लिए ऑस्ट्रेलिया से ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडी’ की डोज जरूर मंगवाई गई है, लेकिन ये डोज संक्रमण के शुरुआत में ही मरीज पर कारगर साबित होता है। फिलहाल, ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडी’ के प्रभाव को लेकर कोई टेस्टिंग नहीं की गई है। उधर, केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज का दावा है कि केरल में फैला निपाह वायरस बांग्लादेशी वैरिएंट है। केरल में बांग्लादेश का ही वैरिएंट कहर बरपा रहा है। उन्होंने बताया कि इसकी मृत्युदर भले ही अधिक है, लेकिन यह कम संक्रामक है, इसलिए स्थिति कंट्रोल में है, लेकिन हमें किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।

अब हफ्ते नहीं, अनिश्चितकाल के लिए कोझिकोड में स्कूल-कॉलेज बंद

निपाह को लेकर एक बड़ा अपडेट ये भी है कि कोझिकोड जिले के सारे स्कूल-कॉलेज और शिक्षण संस्थानों को एक हफ्ते नहीं बल्कि अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। शनिवार को जिला प्रशासन की ओर से जिले के ट्यूशन-कोचिंग सेंटर्स, मदरसा, आंगनबाड़ी, स्कूल-कॉलेजों को बंद करने का आदेश दिया गया।

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने शनिवार को बताया कि जांच के लिए भेजे गए हाईरिस्क केसों का टेस्टिंग रिजल्ट आ गया है। सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है। फिलहाल, कोझिकोड मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में हाई रिस्क वाले 20 से अधिक मरीजों को क्वारेंटाइन किया गया है। यहां 21 मरीज जबकि दो मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल में भी आइसोलेट किया गया है।

बता दें कि हाई रिस्क वाले मरीजों में वे मरीज शामिल हैं, जिनकी निपाह वायरस से संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है। इसके अलावा निपाह के अन्य संक्रमितों के संपर्क में आए करीब 950 लोगों में 250 संदिग्धों को भी हाई रिस्क कैटेगरी में रखा गया है।

कोझिकोड से सटे कर्नाटक के इन जिलों में भी वायरस का खौफ

उधर, केरल के कोझिकोड जिले से सटे कर्नाटक के चार जिलों (कोडागु, दक्षिण कन्नड़, चामराजनगर और मैसूर) में भी निपाह वायरस का खौफ है। सिद्धारमैया सरकार ने इन चारों जिलों में अलर्ट जारी किया है। निपाह से बचाव को लेकर तमाम तरह की सावधानियां बरतने की अपील की गई है।

आखिर कितना खतरनाक है निपाह वायरस का बांग्लादेशी स्ट्रेन

उधर, देश के टॉप महामारी विशेषज्ञ डॉ. रमन गंगाखेडकर के मुताबिक, निपाह वायरस का बांग्लादेशी स्ट्रेन काफी खतरनाक है। इससे संक्रमित मरीजों को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है और 10 में से करीब 9 मरीजों की मौत हो जाती है। 

न्यूज 18 से बातचीत में गंगाखेडकर ने बताया कि मलेशियाई स्ट्रेन न्यूरोलॉजिकल लक्षणों को प्रकट करने के लिए जाना जाता है, लेकिन बांग्लादेश स्ट्रेन उच्च मृत्यु दर या मौतों के लिए जाना जाता है। उन्होंने बताया कि 2018 में उन्होंने और उनकी टीम के अन्य सदस्यों ने निपाह रहस्य को 15 दिनों में सुलझा लिया था।

मई 2018 में, वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया था कि संक्रमित एक मरीज अपने घर के कुएं की सफाई करते समय चमगादड़ों के सीधे संपर्क में आया था।

निपाह को लेकर केंद्र सरकार कितनी गंभीर?

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने आजतक से बातचीत में बताया कि केरल के कोझिकोड में निपाह के केस सामने आए हैं। मैंने राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज से खुद बातचीत की है। दिल्ली से एक टीम भी केरल पहुंची है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि ऐसे इलाके में जहां चमागादड़ों की संख्या है, अगर वहां कोई सिरदर्द या बुखार से पीड़ित पाया जाता है तो उसका सैंपल पुणे के वायरोलॉजी लैब लाया जाता है और उसकी जांच की जाती है।

उन्होंने बताया कि जिन दो लोगों की मौत हुई थी, उनमें से एक मरीज को निपाह पॉजिटिव पाया गया था, अन्य दो-तीन मरीजों को भी पॉजिटिव पाया गया है, जिनका इलाज जारी है। उन्होंने कहा कि कोई भी नई बीमारी देश में सामने आती है तो घबराने की जरूरत नहीं है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश का ट्रेसिंग सिस्टम काफी मजबूत है। किसी संदिग्ध मरीज को तुरंत ट्रेस कर लिया जाता है। एक एसओपी बनाई गई है, जिसके तहत संदिग्ध को तुरंत आइसोलेट किया जाता है और उसका उचित उपचार किया जाता है। कोरोना काल में हमें काफी कुछ सिखाया है।

(simpleeverydaymom.com)

First published on: Sep 17, 2023 07:28 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें