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नवीन पटनायक का बदला सियासी रुख! NDA को कितना नुकसान, INDIA को होगा फायदा?

ओडिशा की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है! नवीन पटनायक अब बीजेपी से दूर विपक्षी एकता की ओर बढ़ रहे हैं। जानिए, इससे एनडीए पर क्या असर पड़ेगा।

Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Mar 15, 2025 15:21

Naveen Patnaik :ओडिशा की सियासत में 24 साल तक सत्ता में रहने वाले नवीन पटनायक अब नए राजनीतिक रास्ते तलाश रहे हैं। अब तक हर मौके पर वे बीजेपी और एनडीए का संसद में समर्थन करते रहे थे, लेकिन माहौल बदला, सत्ता से बाहर हुए, तो अब नवीन पटनायक राजनीति में समीकरण बदलने का प्रयास कर रहे हैं।

बीजू जनता दल यानी बीजेडी अब तक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बीजेपी के करीब मानी जाती थी, लेकिन अब विपक्ष की ओर कदम बढ़ा रही है। पिछले साल लोकसभा और विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद ऐसा लग रहा है कि नवीन पटनायक ने अपनी रणनीति बदल दी है। पहले, केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे पटनायक ने बीजेपी के साथ मिलकर ओडिशा की सत्ता भी संभाली थी, लेकिन बाद में दोनों का गठबंधन टूट गया।

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संसद में भाजपा को समर्थन देती रही है बीजेडी

इतना ही नहीं, 22 मार्च को बीजेडी डीएमके नेता एम.के. स्टालिन द्वारा डिलिमिटेशन के मुद्दे पर बुलाई गई बैठक में शामिल होगी। सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि संसद में बीजेडी नरेंद्र मोदी सरकार को मुद्दा-आधारित समर्थन देती रही थी, लेकिन अब वह लगभग सभी मुद्दों पर अलग रुख अपना रही है। अब स्थिति बदल रही है।


नवीन पटनायक ने डीएमके नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के न्योते को स्वीकार कर लिया है। 22 मार्च को चेन्नई में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में बीजेडी की भागीदारी तय मानी जा रही है। इसके अलावा, मतदाता सूची में गड़बड़ी के मुद्दे पर भी उनकी पार्टी विपक्ष के साथ खड़ी दिख रही है। क्या नवीन पटनायक अब खुलकर बीजेपी विरोधी मोर्चे का हिस्सा बनने जा रहे हैं? बीजेडी का रुख बदलने से एनडीए को संसद में झटका लग सकता है, खासतौर पर राज्यसभा में, जहां बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

संसद में सरकार के लिए खड़ी होगी मुसीबत?

नरेंद्र मोदी सरकार को अब तक संसद में बाहरी दलों का समर्थन मिलता रहा है, जिनमें बीजेडी भी एक अहम सहयोगी रही है। लेकिन अब, जब बीजू जनता दल विपक्ष के साथ खड़ा होता दिख रहा है, तो कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पास कराना सरकार के लिए चुनौती बन सकता है। मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी और ईवीएम-वीवीपैट की पारदर्शिता जैसे मुद्दों पर बीजेडी ने अब विपक्ष के सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया है।

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इससे संसद में होने वाली बहसों और वोटिंग के दौरान विपक्ष की ताकत बढ़ सकती है। क्या बीजेडी के इस रुख से सरकार को कानून बनाने में दिक्कत होगी? आने वाले दिनों में इसका असर दिख सकता है। ओडिशा में कांग्रेस पहले ही कमजोर हो चुकी है, और बीजेपी वहां सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरी है। शायद यही वजह है कि नवीन पटनायक ने अब भाजपा के खिलाफ नया मोर्चा खोलने का मन बना लिया है। अगर बीजेडी विपक्षी एकता का हिस्सा बनती है, तो इसका असर न सिर्फ ओडिशा, बल्कि पूरे देश की राजनीति पर पड़ेगा। बीजेपी के लिए यह चिंता की बात हो सकती है क्योंकि राज्यसभा में उसे कई विधेयकों को पास कराने के लिए अब नए सहयोगियों की तलाश करनी होगी।

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Edited By

Avinash Tiwari

First published on: Mar 15, 2025 03:21 PM

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